Saturday, August 13, 2011

तिरंगे की कसम हमको

तिरंगे की कसम हमको, तिरंगा झुक नहीं सकता ।
उठा दुश्मन की खातिर जो, कदम वो रुक नहीं सकता ॥

तिरंगे को भगत सिंह ने, सजाया खून से अपने ।
तिरंगा हाथ में लेकर, बने जय हिंद के सपने ॥

अगर शान-ए-तिरंगा पर, कोई दुश्मन नज़र डाले ।
शपथ है पूर्वजों की, खाक में उसको मिला डाले ॥

नहीं कुर्बानियां भूले है, बिस्मिल की, जवाहर की ।
अभी तक आ रही खुशबु, है झासी के महावर की ॥

नहीं सुखा लहू अब तक, हिमालय की भुजावों ।
नहीं ठंडा हुवा है रक्त, अब तक रह्नुमायों का ॥

निशां आज़ाद भारत का, तिरंगा है तिरंगा ।
हमारे देश की है शान, लहराता तिरंगा ॥
भले ही हिंद के रणबाकुरे, गिन गिन के मर जाये ।
मगर हिमराज पे लहराएगा, प्यारा तिरंगा ॥

(११-०८-१९९९)

2 comments:

  1. समयानुकूल अच्छी कविता का प्रस्तुतीकरण।

    ReplyDelete
  2. समसामयिक अच्छी प्रस्तुति

    ReplyDelete