Friday, April 24, 2009

वक्त के बढ़ते कदम

वक्त के बढ़ते कदम की आज आहट आ रही है ।
देख कर सूरत तुमाहरी चांदनी शर्मा रही है ॥
वक्त का दरिया है रुक सकता नही अब रोक मत ।
चंद लम्हे रह गए है भागी जा रही है ॥