Sunday, April 24, 2011

जब भी मै कुछ बोलता

जब भी मै कुछ बोलता हू चुप करा देते है वो ।
इस तरह हर बार मै कुछ बोल ही पता नहीं ॥
देखता जाता हू उनकी नज़र रूकती है कहा ।
चाहता हू कुछ कहू मुह खोल ही पता नहीं ॥

जानते है वो मगर अंजान हो जाते है क्यों ।
छुप गए है और मै अब ढूढ़ ही पता नहीं ॥
चाहता हू मै कहू कुछ होठ हिलते ही नहीं ।
मुस्कुराते है मगर क्यों जान ही पता नहीं ॥

कोई कह दे उनसे की जुल्फे हटा ले अब जरा ।
क्या करेगी ये मुझे कुछ तो समझ आता नहीं ॥
अब नज़र उठती नहीं है देख कर उनको 'अनिल' ।
चाहता हू बोल दू पर कुछ कहा जाता नहीं ॥

रास्ते मिलते है पर

रास्ते मिलते है पर, अब मंजिले मिलती नहीं ।
लोग मिलते है मगर, अब महफिले मिलती नहीं ॥
क्या पता किस दिन मै, उनसे बोल पाऊ हाले दिल ।
वो तो मिलती है मगर, अब वो गले मिलती नहीं ॥

कोशिशे की थी कि, कुछ तो साथ आएगा मेरे ।
जानता था पर नहीं, कुछ हाथ आएगा मेरे ।।
जिन्दगी चलती रही, पर रास्ते रुकते गए ।
पर न था मुझको पता, ये हाथ आएगा मेरे ॥

Saturday, April 16, 2011

छोड़िये उलझने

छोड़िये उलझने, आज की आज पर ।
कुछ इधर देखिये, जुल्फ सुलझाइए ॥
पर नज़र उलझती है, तो उलझी रहे ।
छोड़िये, अब जो उलझी है उलझाइये ॥

कुछ शमा बांधिए, कुछ नए गीत हो ।
आ गए है तो फिर, कुछ ठहर जाइये ॥
साज को देखिये, गीत को साथ ले ।
गीत क्या चीज है, गीतिका गाइए ॥

दिल में बाते बहुत है, मगर क्या कहू ।
और कैसे कहू, कुछ तो बतलाइए ॥
रंगे खुशबु गुलाबो, की मिलती रहे ।
सब के चेहरे पे है, हर्ष दिखलाइये ॥

दिल मचलते रहे, यू ही मिलते रहे ।
फूल खिलते रहे, ऐसा कुछ लाइए ॥
बात कुछ भी रहे , साथ कुछ न रहे ।
हर्ष ले जाइये , हर्ष दे जाइये .......... ।

जरुरी ये नहीं कि हमने

जरुरी ये नहीं, कि हमने कितनी बार देखा है ।
जरुरी ये है, कि उनकी भी नज़रे कुछ इधर आये ॥
हमारी आदतों में ये है शामिल रुक के चल देना ।
ये उनकी आदतों में हो तो फिर कुछ बात बन जाये ॥

नतीजा जनता हू मै, मगर एक्जाम देने दो ।
खुदा जाने सवालो का कोई हल फिर निकल आये ॥
कि ख्वाबो में न कोडिंग हो वह परिया दिखाई दे ।
कि हो सकता है ख्वाबो में मेरी किस्मत बादल जाये ॥