अगर ख्वाबो को आँखों में सजावोगे तो गम होगा ।
अगर उम्मीद ज्यादा तुम लगावोगे तो गम होगा ॥
न भटको इस तरह अनजान गलियो में बिना जाने ।
अगर मंजिल न पावोगे कही आगे तो गम होगा ॥
कहानी को हकीक़त तुम बनावोगे तो गम होगा ।
की कोई बात सीने से लगावोगे तो गम होगा ॥
मगर हम जानते है, है नहीं गम की दवा कोई ।
अगर फिर भी ये दर्दे दिल कही लावोगे गम होगा।।
शिकायत के लिए भी हाथ का उठना जरुरी है।
मगर अपनी शिकायत खुद करावोगे तो गम होगा ।।
जो आते है नहीं लाखो बुलावे पर अनिल ऐसे ।
अगर उनको बुलावोगे नहीं आये तो गम होगा॥
Saturday, October 30, 2010
Sunday, October 24, 2010
इस दीवाली दीपों में
इस दीवाली दीपों में अरमान जलायेगे ।
हर्ष न चाहे तो फिर कैसे हर्ष मनायेगे ॥
दीवाली में तोहफों की बाते बेमानी है ।
गम है की अब कैसे खील बतासे आयेगे ॥
चपरासी के कामो को भी निपटा लेते है ।
पर हम चपरासी की भी तनखाह न पायेगे ।।
जाने को बेचैन बहुत पर जेबे ख़ाली है ।
इस दीवाली में हम घर को कैसे जायेगे ॥
इन बातो से क्या होता है बाते ही तो है ।
आती है हर साल दीवाली ख्वाब ये लायेगे ॥
कमरों में अंधियारे होगे दीप कहा होगे ।
हाथो को आँखों पर रखकर लेसको गायेगे ॥
लक्ष्मी से लक्ष्मी की बाते कैसे होगी अब ।
जो होता है अच्छा है दिल को समझायेगे ॥
हर्ष न चाहे तो फिर कैसे हर्ष मनायेगे ॥
दीवाली में तोहफों की बाते बेमानी है ।
गम है की अब कैसे खील बतासे आयेगे ॥
चपरासी के कामो को भी निपटा लेते है ।
पर हम चपरासी की भी तनखाह न पायेगे ।।
जाने को बेचैन बहुत पर जेबे ख़ाली है ।
इस दीवाली में हम घर को कैसे जायेगे ॥
इन बातो से क्या होता है बाते ही तो है ।
आती है हर साल दीवाली ख्वाब ये लायेगे ॥
कमरों में अंधियारे होगे दीप कहा होगे ।
हाथो को आँखों पर रखकर लेसको गायेगे ॥
लक्ष्मी से लक्ष्मी की बाते कैसे होगी अब ।
जो होता है अच्छा है दिल को समझायेगे ॥
Saturday, October 16, 2010
ये माना कि नज़र में हम
खुदा से क्या कहू अब मै वही तो है खुदा मेरे ।
दुवा को हाथ ये उठते नहीं क्या क्या करम है ॥
ये माना कि नज़र में हम नहीं है तो न रखिये बस ।
नज़र में तुम मेरी हो बस यही एहसान क्या कम है ॥
कभी मै जख्म खाकर भी नहीं रोया यहाँ इतना ।
तो फिर क्यों देखने पर आपको आँखे मेरी नम है ॥
बड़ी मजबूरिया है और बहुत गम भी छुपाये है ।
मगर हम मुस्कुराते है यही क्या बात है हम है ॥
चिरागों से नहीं अब रौशनी आती मेरे घर में ।
मै कैसे बोल दू कि अब बड़ा अच्छा ये मौसम है ॥
बड़े अरमान पाले थे कि कुछ तो गुफ्तगू होगी ।
मगर वो कुछ नहीं कहते ये हम पर तो सितम है
मेरे ख्वाबो में भी आने से कतराते है अब तो वो ।
यही एक रास्ता था उनसे मिलने का ये गम है ॥
अनिल अब तो चलो किससे कहोगे हाले दिल अपना ।
कि जिससे भी कहो हँसता है छोडो जो भरम है ॥
दुवा को हाथ ये उठते नहीं क्या क्या करम है ॥
ये माना कि नज़र में हम नहीं है तो न रखिये बस ।
नज़र में तुम मेरी हो बस यही एहसान क्या कम है ॥
कभी मै जख्म खाकर भी नहीं रोया यहाँ इतना ।
तो फिर क्यों देखने पर आपको आँखे मेरी नम है ॥
बड़ी मजबूरिया है और बहुत गम भी छुपाये है ।
मगर हम मुस्कुराते है यही क्या बात है हम है ॥
चिरागों से नहीं अब रौशनी आती मेरे घर में ।
मै कैसे बोल दू कि अब बड़ा अच्छा ये मौसम है ॥
बड़े अरमान पाले थे कि कुछ तो गुफ्तगू होगी ।
मगर वो कुछ नहीं कहते ये हम पर तो सितम है
मेरे ख्वाबो में भी आने से कतराते है अब तो वो ।
यही एक रास्ता था उनसे मिलने का ये गम है ॥
अनिल अब तो चलो किससे कहोगे हाले दिल अपना ।
कि जिससे भी कहो हँसता है छोडो जो भरम है ॥
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