Saturday, May 29, 2010
न यूँ जुल्फे खुली छोडो क़यामत
मैने भी एक खूबसूरती का दीदार किया है । मै भी चाहता हु की मै भी कुछ लिखू । पर न तो मै कवि हूँ , न शायर और न ही कहानीकार तो मै अपनी बात कैसे कहूँ । लेकिन कोशिश करने में कोई हर्ज़ तो नहीं । और ख़ूबसूरत चीजों की तारीफ करना कोई गुनाह तो नहीं और ये गुनाह है तो ऐसा ख़ूबसूरत गुनाह मै हज़ार बार करने के लिए तैयार हू। दुनिया कुछ भी कहे लेकिन गुलाब को महकना है तो वो महकेगा ।
बचपन में परियो की कहानी सुनता था । राजा और रानी की कहानी सुनकर मै बहुत खुश होता था । राजकुमारी और शहजादियो की कहानी सुनते सुनते बड़ा हो गया । पर हमेशा मेरे जेहेन में एक सवाल उठता था की वाकई परियां होती है और क्या वो इतनी खुबसूरत होती है की उनकी कहानी सुनाई जाये । लेकिन अब मुझे समझ में आने लगा है कि हा वाकई परियां होती थी और अब भी होती है क्यों कि जब कोई इतना अच्छा लगने लगे कि उसका चेहरा आपकी नजरो के सामने से न हटे । ख्वाबो में वो चेहरा आने लगे तो समझ में आने लगता है वो कहानी कहानी नहीं थी हकीकत है जो मेरे सामने आने लगी है ।
मै भी कुछ लाइन लिखता हु देखता हु ये कहा तक जा कर रूकती है ।
न यूँ जुल्फे खुली छोडो क़यामत का इरादा है ।
नज़र भर देखने तो दो इबादत का इरादा है ॥
ये माना कि तुम्हे फुर्सत नहीं नज़रे उठाने की ।
ना जाने अब तुम्हारा किस क़यामत का इरादा है ॥
वो तेरा सर उठाना देख कर है ये कदम मचले ।
ना जाने क़ि इन्हें किस घर को जाने का इरादा है ।।
ये माना तुम हसीं हो खुबसूरत हो मगर लेकिन ।
क़ि दिल भी खूबसूरत है बता देते तो अच्छा था । ।
कि चेहरे पे महकते उन गुलाबो को छुपा लो पर ।
नज़र में वो महकता है बता देते तो अच्छा था ॥
मै अपनी राह भूला हू तेरे जलवो को देखा है ।
मेरी उस राह को मुझसे मिला देते तो अच्छा था ॥
तेरे खामोश लव पर है मचलते कुछ जवां नगमे ।
ज़रा नज़रे उठाकर मुस्कुरा देते तो अच्छा था ॥
Sunday, May 16, 2010
जुबां हिलती नहीं खामोश
जुबां हिलती नहीं खामोश लव कुछ कह नहीं पाते
मगर नज़रे झुकाने का बहाना ढूढ़ लेते है ॥
जहाँ मिलती कोई मूरत उसे हम पूज लेते है ।
की सिजदे का कोई हमतो बहाना दूढ़ लेते है ॥
किसे फुर्सत यहाँ मिलती है दिल से मुस्कुराने की ।
मगर हर वक़्त रोने का बहाना ढूढ़ लेते है ॥
तमन्ना है जिन्हें उस दौर का थोडा मज़ा ले ले ।
कि हम तो मुसुकुराने का बहाना ढूढ़ लेते है ॥
नज़र मिलती नहीं फिर भी नज़र सब देखती तो है
जो देखा था कभी हम वो ज़माना ढूढ़ लेते है ॥
ये दरिया है नहीं रूकती रवानी बढती जाती है ।
मगर हम है अपना आशियानां ढूढ़ लेते है ॥
कही तूफान रुख न मोड़ दे अपने सफीने का ।
कि हम तो बस अभी से आबोदाना ढूढ़ लेते है ॥
Saturday, May 8, 2010
जो रूठो तो मनाने कि
जो रूठो तो मनाने कि अदा लावो तो अच्छा है ।
रहो तुम पास दिल के दूर ना जावो तो अच्छा है ॥
कि कितनी मुश्किलो से आ गए हो इस तरफ यू ही ।
ना फिर यू लौट कर जावो 'अनिल' आवो तो अच्छा है ॥
फिकर मुझको नहीं अपनी फ़क़त अफ़सोस इतना है ।
कि फिर से आते -आते दूर ना जावो तो अच्छा है ॥
Saturday, May 1, 2010
दुनिया में दो ऐसी चीजे है
सबसे पहले मैंने एक किसान से डरते डरते पूछा कि भैया ये प्यार क्या होता है । उसने अपने लहलहाते खेतो कि तरफ अपनी चमकती नजरो से देखा और कहा यही मेरा प्यार है । मुझे कुछ समझ में नहीं आया लेकिन मैं हां कह कर आगे बढ़ गया । आगे कुछ ही दूर बढ़ा था कि मुझे एक बाग दिखाई दिया मैंने सोचा कि लगे हाथ माली से भी मिल लू । माली से भी मैंने वही सवाल दोहराया कि प्यार क्या होता है । माली एक लम्बी साँस खीच कर बोला जब मैं दिन भर का थका हारा इन खिलखिलाते और महकते हुए फूलो को देखता हु तो मेरी सब थकान दूर हो जाती है । मेरे लिए तो यही मेरा प्यार है । इतना कह कर वो फूलो को फिर बड़े प्यार से निहारने लगा ।
भूख से तिलमिलाते एक भिखारी के पास से जब मै गुज़रा तो वह बोला भगवान् के नाम पर एक रोटी दे दो । मेरे पास रोटी तो थी नहीं सो मैंने उसे कुछ खरीद कर दे दिया । वह बड़े प्यार से उसे खाने लगा । मै आगे बढ़ गया । एकाएक मै फिर उस भिखारी के पास आया लौट आया और बोला कि बाबा ये प्यार क्या होता है । उसने तुरंत से पहले जवाब दिया कि रोटी प्यार होता है । वाह प्यार का एक रूप रोटी भी होता है ये पहली बार जाना ।
एक माँ का बच्चा बड़ी देर से नहीं मिल रहा था । माँ उसे बड़े देर से खोज रही थी और रो रही थी । थोड़ी देर बाद उसका बच्चा दौड़ता हुआ आया और माँ कि गोद में बैठ गया । माँ उसे जल्दी जल्दी चूमने लगी मुझे समझ में आ गया था कि ये प्यार होता है । एक और सर्वे के लिए आगे बढ़ा तो देखा कि एक पत्नी के लिए सरहद पर बैठे पति कि चिठ्ठी आई थी । उसने मुझे रोक कर कहा कि भैया जरा इस ख़त को पढ़ दो। जब मै ख़त को पढ़ रहा था तो मुझे आसूं आ गए । मुझे समझ में आ गया था कि ये भी प्यार होता है ।
प्यार में कुछ लेना नहीं होता सिर्फ देना होता है धीरे धीरे समझ में आने लगा कि लोग क्यों बोलते है कि तुम्हारी ख़ुशी में ही मेरी ख़ुशी है। खैर आगे बढ़ा तो देखा कि एक लड़का बड़ी देर से सड़क के किनारे धुप में खड़ा था । मैंने कहा अरे दोस्त यहाँ क्यों खड़े हो पेड़ के नीचे खड़े हो जावो । वह बोला नहीं यार यहाँ से वो लड़की गुजरेगी जिस मै प्यार करता हूँ । वह निकलेगी तो मै एक बार उसे देख लूँगा । मैंने कहा अगर न निकली तो । वह बोला मै फिर भी यहाँ खड़ा रहूँगा । मै हँसते हुए आगे बढ़ गया और मै अपने आप से बोला अच्छा ये भी प्यार है ।
मेरी आखे धीरे धीरे खुल रही थी मुझे हर तरफ प्यार ही प्यार दिख रहा था । नदियाँ , झरने , पहाड़ , जंगल , गलियां , परिंदे सब मुझ पर हँस रहे थे । मै बड़े बुझे मन से से आगे बढ़ा और सोचने लगा कि मै किस चीज को खोज रहा था । अब तो जिधर देखता उधर सभी तरफ खिलखिलाता उछलता हुआ प्यार दिख रहा था । मुझे समझ में आया गया था कि प्यार और खूबसूरती देखने वाले के नजरो में होती है । ढूढने से भगवान् तो मिल जाता है पर प्यार पता नहीं । वक़्त बदलता है , दरिया अपना रास्ता बदलती है , पंक्षी अपना घोसला पर प्यार जैसा आज है वैसा कल रहेगा । ये वो दौलत है जो वक़्त के साथ बढ़ती रहती है ।
वो इंसान दुनिया का सबसे दौलतमंद इंसान होता है , जिसके पास प्यार होता है ये सब मै फिल्मो में सुना करता था लेकिन लहलहाते खेतो , महकते फूलो , कुंकती कोयलों , किसान के पसीने , चिलचिलाती धुप , कलकल करती नदिया , मदमस्त झरने और उडती जुल्फों ने प्यार कि परिभाषा अपने आप ही बता दी । अब क्या लिखू प्यार न तो समझने कि चीज है न ही सर्वे कि इसे तो सिर्फ महसूस किया जाता है ।
वैसे मैंने ये सब जो लिखा है वो प्यार के सागर कि एक छोटी सी बूंद है अगर आप कुछ कहना या लिखना या बताना चाहते है तो आपका स्वागत है । आप अपने विचार भी रख सकते है ।