Sunday, October 25, 2009

मुबारक बात देना अब

मुबारक बात देना अब बड़ी ही बात होती है ।
की हम ने देख ली जितनी अँधेरी रात होती है ॥
कोई बंदिश नही हम पर अभी तक अक्श जाने क्यो ।
की चलते साथ है लेकिन नही अब बात होती है ।।
नज़र के सामने के बुत चले जाते है क्या कहिये ।
नज़र के सामने सब बुत बने जाते है क्या कहिये ॥
बड़े अरमान थे दिल में मुलाकाते बहुत होगी ।
नज़र के सामने नज़रे झुका बैठे है क्या कहिये॥

Saturday, October 17, 2009

दिए की लौ ज़रा फिर से निखर

दिए की लौ ज़रा फिर से निखर जाए तो अच्छा है ।
रुके होठो पे फिर से एक खुशी आए तो अच्छा है ॥
बड़े अच्छे है गुलशन के हजारो फूल पर क्या है ।
महक जो फूल छोडेगा वही तो फूल अच्छा है ॥
दशहरे की खुशी को हम मनाकर है अभी लौटे ।
दिवाली की मुबारक बात दे जावूँ तो अच्छा है ॥

Sunday, October 11, 2009

जिंदगी गुज़र रही थी

जिंदगी गुज़र रही थी रह गुज़र से ।
की तूफ़ान आया न जाने किधर से ॥
उस वक्त था होश मैंने गवाया ।
गई नींद तब से नही चैन आया ॥
उठे सोच कर की बहुत कुछ कहेगे ।
की अब हम नही उनका ये गम सहेंगे ॥
मगर राह में जब वो ख़ुद मिल गए ।
न जाने मेरे तब क्यों लव सिल गए ॥
चेहरा गुलाबी नज़र आ रहा था ।
नजरो में था मैकदे का समन्दर ॥

जानिब से मेरी शुक्रिया (०७-०१-२००१)

जानिब से मेरी शुक्रिया मोहतरमा आपको ।
तस्लीम मेरा आपको ख़त आपका मिला ॥
इन अक्षरों में अक्श उभरता है आपका ।
चेहरे पे आफ़ताब निकलते हुए मिला ॥
खुशकिस्मती हमारी है हम याद आपको है ।
वरना जो मिला रुख को बदलते हुए मिला ॥
माना की पत्थरों से कुचले गए है फूल ।
पर गुलिस्ता पत्थर में भी खिलते हुए मिला ॥
कुर्बानियों का सिलसिला ठहरे न इसलिए ।
इंसान अपने जख्मो को सिलते हुए मिला ॥
कितनो को आगे बढ़के संभालेगे आप भी ।
मुझको जो मिला गिर के संभलते हुए मिला ॥
आवाज़ में न लाइए यूं बेरुखी इतनी ।
सूरज भी कहीं पर हमे ढलते हुए मिला ॥
दरिया की रवानी को मत दीजिये हवा ।
तूफ़ान हमको सीनों में पलते हुए मिला ॥
आपस में लड़ेगे तो सरहद पे क्या होगा ।
अरे ! बर्फ में जवान पिघलते हुए मिला ॥

Sunday, October 4, 2009

हम भटकते रहे आज तक जाने क्यूँ

हम भटकते रहे आज तक जाने क्यूँ ।
आज नज़रे उठाई खुदा मिल गया ॥
ऐसा था नूर चेहरे पे फैला हुआ ।
जैसे जीने का इक हौसला मिल गया ॥
चंद लम्हे चुरा लीजिये मौत से ।
हो सके तो ये इक काम कर दीजिये ॥
तुम को फूलों की चाहत बहुत ठीक है ।
मेरे सीने में काटों को भर दीजिये ॥
एक पल में हजारो जन्म जी लिए ।
जिंदगी से मुझे आज क्या कम है ॥
आरजू अब नही है किसी बात की ।
कितना प्यारा सा ज़न्नत पैगाम है ..

ना सही हकीक़त में लेकिन

ना सही हकीक़त में लेकिन ख्वाबो में तो मिल जाते है ।
ना जाने कितनी रातों से बस टेरर सपने आते है ॥
मै तुम्हे देखता जाता हू पर तुम मुस्काती रहती हो ।
उन हिलते डुलते होठो से न जाने क्या क्या कहती हो ॥
मेरी नजरो में देखो तो बस चेहरा वही गुलाबी है ।
नजरो का क्या बस नज़रे है पर नज़रे बहुत शराबी है ॥

क्या ताज महल सुंदर होगा

क्या ताज महल सुंदर होगा तेरी सुन्दरता के आगे ।
क्या उसमे तुम सी खुशबू है क्या नैना है जागे जागे ॥
क्या वह अलसाया रहता है तुमसी अंगडाई लेता है ।
चेहरे से हटाने पर जुल्फे क्या चाँद दिखाई देता है ॥
होठों से ऐसा लगता है लिपटी आपस में कलियाँ है ।
तेरी आँखों की कोरो में दिखती जन्नत की गलियां है ॥

जो तुमने नज़रे उठा के देखा

जो तुमने नज़रे उठा के देखा ,
चमक सितारों की खो गई है ।
जो पल्लू उड़ के हटा बदन से ,
वो घडियां रगीन हो गई है ॥
न दिल है बस में न हम है बस में ,
चली क़यामत इधर किधर से ।
हुई है तूफ़ान जैसी हलचल ,
कदम पड़े है जिधर जिधर से ॥
ये चाँद सूरज है होठ तेरे ,
तपन से मुझको जला रहे है।
हमें नही कुछ भी ख्याल अपना ,
मगर वो हँसते ही जा रहे है ॥
निशां कदम के मै चूम आया ,
चुने है कांटे भी आज मैंने ।
हुए है दोनों ही हाथ घायल ,
न ज़ख्म देखे मगर किसी ने ॥
उन्हें ये जिद है की वो हसी है ,
तो हमने क्या कुछ ग़लत कहा है ।
तुम्हारे दीदार पर है जिंदा ,
वरना अब जिंदगी ही कहाँ है ॥

Friday, October 2, 2009

जब भी मै मुसीबतों

जब भी मै मुसीबतों से घिर जाता हूँ ।
तुमको देखता हूँ और मुस्कराता हूँ ॥
तुम लाख ना देखो मुझको ये अनिल ।
मगर मै हूँ की तुम्हे देखता जाता हूँ ॥
वक्त आता है चला जाता है चंद सांसे है गुजर जाने दो ।
ये तो खुशुबू है मत रोको इसको फिजावो में बिखर जाने दो