Sunday, October 4, 2009

जो तुमने नज़रे उठा के देखा

जो तुमने नज़रे उठा के देखा ,
चमक सितारों की खो गई है ।
जो पल्लू उड़ के हटा बदन से ,
वो घडियां रगीन हो गई है ॥
न दिल है बस में न हम है बस में ,
चली क़यामत इधर किधर से ।
हुई है तूफ़ान जैसी हलचल ,
कदम पड़े है जिधर जिधर से ॥
ये चाँद सूरज है होठ तेरे ,
तपन से मुझको जला रहे है।
हमें नही कुछ भी ख्याल अपना ,
मगर वो हँसते ही जा रहे है ॥
निशां कदम के मै चूम आया ,
चुने है कांटे भी आज मैंने ।
हुए है दोनों ही हाथ घायल ,
न ज़ख्म देखे मगर किसी ने ॥
उन्हें ये जिद है की वो हसी है ,
तो हमने क्या कुछ ग़लत कहा है ।
तुम्हारे दीदार पर है जिंदा ,
वरना अब जिंदगी ही कहाँ है ॥

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