Saturday, October 17, 2009

दिए की लौ ज़रा फिर से निखर

दिए की लौ ज़रा फिर से निखर जाए तो अच्छा है ।
रुके होठो पे फिर से एक खुशी आए तो अच्छा है ॥
बड़े अच्छे है गुलशन के हजारो फूल पर क्या है ।
महक जो फूल छोडेगा वही तो फूल अच्छा है ॥
दशहरे की खुशी को हम मनाकर है अभी लौटे ।
दिवाली की मुबारक बात दे जावूँ तो अच्छा है ॥

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