Friday, September 10, 2010

ईद में गले मिलने का

ईद में गले मिलने का दस्तूर होता है
चाँद को देखने का मौका जरुर होता है
मगर वो चाँद तो देखा ही नहीं मैंने अभी
कैसे कह दू कि मिलना जरुर होता है
हटा दो जुल्फों को अपने चेहरे से जरा
हुस्न तो कभी मजबूर नहीं होता है ।।
चाँद देख लू मै मेरी भी ईद होने दो
ईद में चाँद सा चेहरा जरुर होता है

Monday, September 6, 2010

ईद से पहले भी ईद हो सकती

कुछ लोग ऐसे होते है अगर उन्हें लाख परदे में भी रखो तब भी वो सामने ही जाते है . और ऐसे आते है जैसे कोई झरना उछालता हुआ नीचे जमीन पर आता है और तमाम लोगो की प्यास बुझाता है तुम्हे पता है ईद के चाँद का दीदार करने के लिए हम लोगो को पूरे साल इंतजार करना पड़ता है तब जाकर कही उसके दीदार होते हैलेकिन मै एक ऐसे चाँद को जनता हू जिसके दीदार के लिए साल भर इंतजार नहीं करना पड़ता । उसका दीदार कर लो ईद से पहले ईद हो जाएगी


कहते है ताजमहल चांदनी रात में बहुत खुबसूरत लगता है । मुझे नहीं पता क्यूकि मैंने उसे चांदनी रात में नहीं देखा है मगर हा मै पूरे यकीन के साथ कह सकता हू कि इस ताजमहल जैसा वो हो ही नहीं सकता ।
यकी नहीं आता कोई बात नहीं । उस चाँद की
रौशनी इतनी तेज़ है कि वो असमान का चाँद भी उसके सामने फीका पड़ जायेखूबसूरत इतना कि तमाम फूल उसके सामने अपना सर झुका देते हैअगर यकीं नहीं होता तो मै तस्वीर दिखा सकता हू उस चाँद कि फिर तुम खुद फैसला कर सकती हो कि तुम्हारा चाँद ज्यादा खूबसूरत है या मैंने जिसका दीदार किया हैबस फर्क इतना है कि उस चाँद के दीदार के बाद लोग गले मिलते है चाँद कि मुबारक बात देते है पर यहाँ कोई गले मिलने वाला है ही मुबारक बात देने वाला हैदो लाइन भी तो लिखनी है वो भी लिख देता हूदो नहीं आज चार लाइन लिखता हूँ दो पर दो फ्रीठीक है

हटा
लो जुल्फ रुखसारो से तो फिर ईद हो जाये
कि आहिस्ता उठावो सर कि अब तो दीद हो जाये ।।
अभी ख्वाबो से लौटा हू मुझे ख्वाबो में रहने दो
कि
ख्वाबो में सही मेरी भी तुम सी ईद हो जाये"