नयी तारीख होगी कल तराने कुछ नए होगे ॥
हमारे तुमसे मिलने के बहाने कुछ नए होगे ॥
नयी उम्मीद जागेगी कि कुछ सपने नए होगे ।
पुराने तो है अपने और कुछ अपने नए होगे ॥
नयी मंजिल तलासेगे नए कुछ हौसले होगे ।
नयी बाते करेगे हम नए शिकवे गिले होगे ॥
कही रौशन चरागों के उजाले आ ही जायेगे ।
हमें जाना है आगे हम चरागों के भी जायेगे ॥
नयी होगी सुबह फूलो के गुलदस्ते नए होगे ।
महकती शाम के आचल में कुछ पत्ते नए होगे ॥
नया हर पल मुबारक हो कि अब बाते नयी होगी ।
नया दिन आ ही जायेगा कि राते भी नयी होगी ॥
नयी अब रौशनी होगी सितारे भी नए होगे ।
की जुल्फों में जो मचलेगे सरारे वो नए होगे ॥
कि ठंडी सी हवा बहकेगी तुम को छू के जाएगी ।
तुम्हारे वास्ते कुछ तो नए पैगाम लाएगी ॥
Friday, December 31, 2010
Thursday, December 16, 2010
नयन दर्शन से पुलकित हैं
सुबह कि शांत आभा से कोई, मिलकर बताये तो ।
चहकते पंक्षियों का कुछ, चहकना भी सुनाये तो ॥
अगर इतना ही मुस्किल है, नज़र हो फेर कर बैठे ।
झुकी रहने दो इनको बस, कोई सूरत दिखाए तो ॥
***********
नयन दर्शन से पुलकित हैं, अधर कुछ कह नहीं पाए ।
ह्रदय से है नमन इस पल, कि ये पल भर ठहर जाये ॥
है कितनी शांत सी मूरत , या मंदिर का कोई दीपक ।
चमकता स्वर्ण सा मस्तक, कहा से हो इसे लाये ॥
सरलता से कई दिन तक, ये मौसम फिर यहाँ रहता ।
ह्रदय से कुछ कहा करते, जो सुन लेते सुना जाएँ ॥
भ्रमर क्यों गा रहा है, इस तरह सुर को भुला करके ।
मुझे भी देखना है अब, सुरीलापन दिखा जाये ॥
चहकते पंक्षियों का कुछ, चहकना भी सुनाये तो ॥
अगर इतना ही मुस्किल है, नज़र हो फेर कर बैठे ।
झुकी रहने दो इनको बस, कोई सूरत दिखाए तो ॥
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नयन दर्शन से पुलकित हैं, अधर कुछ कह नहीं पाए ।
ह्रदय से है नमन इस पल, कि ये पल भर ठहर जाये ॥
है कितनी शांत सी मूरत , या मंदिर का कोई दीपक ।
चमकता स्वर्ण सा मस्तक, कहा से हो इसे लाये ॥
सरलता से कई दिन तक, ये मौसम फिर यहाँ रहता ।
ह्रदय से कुछ कहा करते, जो सुन लेते सुना जाएँ ॥
भ्रमर क्यों गा रहा है, इस तरह सुर को भुला करके ।
मुझे भी देखना है अब, सुरीलापन दिखा जाये ॥
Saturday, November 27, 2010
लबो से कुछ नहीं कहते नज़र
लबो से कुछ नहीं कहते नज़र सब जान लेती है ।
जो दिल में हो अगर कुछ दोस्ती पहचान लेती है ॥
न खोजो दोस्तों की दोस्ती में तुम कोई मौसम ।
तरन्नुम वो है जो अपना तराना जान लेती है ।।
ये माना दोस्ती पर खूब जुमले है पढ़े तुमने ।
मगर ये दोस्ती है दोस्ती पहचान लेती है ॥
ये वो ज़ज्बा है जिसपे खुद खुदा का नूर होता है ।
अरे! बस दोस्ती ही दोस्ती पर जान देती है ।।
अगर हम दोस्तों की आज़माइश पर उतर आये ।
तो ये तुम जान लो ये दोस्तों की जान लेती है ।।
अगर आती है कोई दोस्तों पर जब मुसीबत तो ।
ये वो है दोस्ती जो अपना सीना तान लेती है ॥
ये वो माँ है जिसे हम अपने आँखों में बसाये है ।
ये वो ममता है जो औरो को बेटा मान लेती है ॥
अरे हम क्या करेगे उनकी आँखों में नमी लाके ।
यही तो दोस्ती है जो मसीहा मान लेती है ॥
जो दिल में हो अगर कुछ दोस्ती पहचान लेती है ॥
न खोजो दोस्तों की दोस्ती में तुम कोई मौसम ।
तरन्नुम वो है जो अपना तराना जान लेती है ।।
ये माना दोस्ती पर खूब जुमले है पढ़े तुमने ।
मगर ये दोस्ती है दोस्ती पहचान लेती है ॥
ये वो ज़ज्बा है जिसपे खुद खुदा का नूर होता है ।
अरे! बस दोस्ती ही दोस्ती पर जान देती है ।।
अगर हम दोस्तों की आज़माइश पर उतर आये ।
तो ये तुम जान लो ये दोस्तों की जान लेती है ।।
अगर आती है कोई दोस्तों पर जब मुसीबत तो ।
ये वो है दोस्ती जो अपना सीना तान लेती है ॥
ये वो माँ है जिसे हम अपने आँखों में बसाये है ।
ये वो ममता है जो औरो को बेटा मान लेती है ॥
अरे हम क्या करेगे उनकी आँखों में नमी लाके ।
यही तो दोस्ती है जो मसीहा मान लेती है ॥
Sunday, November 14, 2010
मुझे है याद वो दिन
मुझे है याद वो दिन जब कि हम झंडा उठाते थे ।
कि वन्दे मातरम गाते हुवे स्कूल जाते थे ॥
मुझे है याद वो सारे सबक जो भी पढ़े थे तब ।
मगर उनको न देखू तो सबक सब भूल जाते थे ॥
अगर मुझको पता चलता कि वो छुट्टी पे बैठे है ।
तो सच मानो कि उस दिन हम भी गोला मार जाते थे ॥
वो चाचा का जन्म दिन था नहीं मै आज तक भूला ।
कि उस अवसर पे हम घर से गुलाबी फूल लाते थे ॥
उन्हें हम फेकते थे उनको गालो पर न जाने क्यों ।
कि उनके देखने पर हम बहुत कम मुस्कुराते थे ॥
न जाने क्या लड़कपन था न जाने क्या थी तब मर्ज़ी ।
कि हम झोले में अपने एक गुडिया लेके जाते थे ॥
दिखा कर उसको हम अनजान से कुछ देर हो जाते ।
मगर फिर से वही हम खेल दोहराते ही जाते थे ॥
वो उनको इस तरह छूना कि कुछ भी देख न पाए ।
न जाने क्यों उठा कर उनकी तख्ती भाग जाते थे ॥
वो चोटी खीच कर एकदम से उनके सामने आना ।
कि उसके सर हिलाने पर नहीं फुले समाते थे ॥
क्रमशा ......
कि वन्दे मातरम गाते हुवे स्कूल जाते थे ॥
मुझे है याद वो सारे सबक जो भी पढ़े थे तब ।
मगर उनको न देखू तो सबक सब भूल जाते थे ॥
अगर मुझको पता चलता कि वो छुट्टी पे बैठे है ।
तो सच मानो कि उस दिन हम भी गोला मार जाते थे ॥
वो चाचा का जन्म दिन था नहीं मै आज तक भूला ।
कि उस अवसर पे हम घर से गुलाबी फूल लाते थे ॥
उन्हें हम फेकते थे उनको गालो पर न जाने क्यों ।
कि उनके देखने पर हम बहुत कम मुस्कुराते थे ॥
न जाने क्या लड़कपन था न जाने क्या थी तब मर्ज़ी ।
कि हम झोले में अपने एक गुडिया लेके जाते थे ॥
दिखा कर उसको हम अनजान से कुछ देर हो जाते ।
मगर फिर से वही हम खेल दोहराते ही जाते थे ॥
वो उनको इस तरह छूना कि कुछ भी देख न पाए ।
न जाने क्यों उठा कर उनकी तख्ती भाग जाते थे ॥
वो चोटी खीच कर एकदम से उनके सामने आना ।
कि उसके सर हिलाने पर नहीं फुले समाते थे ॥
क्रमशा ......
Tuesday, November 9, 2010
घटा आकर तेरी जुल्फों
घटा आकर तेरी जुल्फों को कुछ ऐसे सजा जाये ।
कि फूलो की महक लेकर कोई मौसम चला आये ॥
दिशाये देख कर तुमको है अपना रास्ता भूली ।
कि रस्ते कह रह है अब मेरी मंजिल नज़र आये ॥
कि होठो के कमल खिलते रहे मिलता रहे सब कुछ ।
वो सारे ख्वाब हो पूरे जो ख्वाबो में नज़र आये ॥
मुबारक हो तुम्हे मौसम गुलाबी आ रहा है जो ।
कि हर मंजिल तुमाहरे खुद कदम छूने चली आये॥
मुझे कुछ भी नहीं मालूम कि होता है कहा सूरज ।
मगर तपते हुए होठो पे वो सूरज नज़र आये ॥
नज़र उठने कि बाते हो नज़र गिरने कि बाते हो।
न उठती है न गिरती है ये नज़रे फिर कहा जाये ॥
कि फूलो की महक लेकर कोई मौसम चला आये ॥
दिशाये देख कर तुमको है अपना रास्ता भूली ।
कि रस्ते कह रह है अब मेरी मंजिल नज़र आये ॥
कि होठो के कमल खिलते रहे मिलता रहे सब कुछ ।
वो सारे ख्वाब हो पूरे जो ख्वाबो में नज़र आये ॥
मुबारक हो तुम्हे मौसम गुलाबी आ रहा है जो ।
कि हर मंजिल तुमाहरे खुद कदम छूने चली आये॥
मुझे कुछ भी नहीं मालूम कि होता है कहा सूरज ।
मगर तपते हुए होठो पे वो सूरज नज़र आये ॥
नज़र उठने कि बाते हो नज़र गिरने कि बाते हो।
न उठती है न गिरती है ये नज़रे फिर कहा जाये ॥
Wednesday, November 3, 2010
इस दीवाली दीपों में अरमान जलायेगे ।
हर्ष न चाहे तो फिर कैसे हर्ष मनायेगे ॥
दीवाली में तोहफों की बाते बेमानी है ।
गम है की अब कैसे खील बतासे आयेगे ॥
जाने को बेचैन बहुत पर जेबे ख़ाली है ।
इस दीवाली में हम घर को कैसे जायेगे ॥
इन बातो से क्या होता है बाते ही तो है ।
आती है हर साल दीवाली ख्वाब ये लायेगे ॥
कमरों में अंधियारे होगे दीप कहा होगे ।
हाथो को आँखों पर रखकर लेसको गायेगे ॥
लक्ष्मी से लक्ष्मी की बाते कैसे होगी अब ।
जो होता है अच्छा है दिल को समझायेगे ॥
** शुभ दीपावली, सुखमय दीपावली, खुशमय दीपावली, स्वस्थ दीपावली, हर्षित दीपावली, संघर्षित दीपावली, मंगलमय दीपावली, प्रकाशित दीपावली, आह्लादित दीपावली, व्यवस्थित दीपावली , सुरक्षित दीपावली । आपको दीपावली की हार्दिक शुभकामना **
हर्ष न चाहे तो फिर कैसे हर्ष मनायेगे ॥
दीवाली में तोहफों की बाते बेमानी है ।
गम है की अब कैसे खील बतासे आयेगे ॥
जाने को बेचैन बहुत पर जेबे ख़ाली है ।
इस दीवाली में हम घर को कैसे जायेगे ॥
इन बातो से क्या होता है बाते ही तो है ।
आती है हर साल दीवाली ख्वाब ये लायेगे ॥
कमरों में अंधियारे होगे दीप कहा होगे ।
हाथो को आँखों पर रखकर लेसको गायेगे ॥
लक्ष्मी से लक्ष्मी की बाते कैसे होगी अब ।
जो होता है अच्छा है दिल को समझायेगे ॥
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Saturday, October 30, 2010
अगर ख्वाबो को आँखों
अगर ख्वाबो को आँखों में सजावोगे तो गम होगा ।
अगर उम्मीद ज्यादा तुम लगावोगे तो गम होगा ॥
न भटको इस तरह अनजान गलियो में बिना जाने ।
अगर मंजिल न पावोगे कही आगे तो गम होगा ॥
कहानी को हकीक़त तुम बनावोगे तो गम होगा ।
की कोई बात सीने से लगावोगे तो गम होगा ॥
मगर हम जानते है, है नहीं गम की दवा कोई ।
अगर फिर भी ये दर्दे दिल कही लावोगे गम होगा।।
शिकायत के लिए भी हाथ का उठना जरुरी है।
मगर अपनी शिकायत खुद करावोगे तो गम होगा ।।
जो आते है नहीं लाखो बुलावे पर अनिल ऐसे ।
अगर उनको बुलावोगे नहीं आये तो गम होगा॥
अगर उम्मीद ज्यादा तुम लगावोगे तो गम होगा ॥
न भटको इस तरह अनजान गलियो में बिना जाने ।
अगर मंजिल न पावोगे कही आगे तो गम होगा ॥
कहानी को हकीक़त तुम बनावोगे तो गम होगा ।
की कोई बात सीने से लगावोगे तो गम होगा ॥
मगर हम जानते है, है नहीं गम की दवा कोई ।
अगर फिर भी ये दर्दे दिल कही लावोगे गम होगा।।
शिकायत के लिए भी हाथ का उठना जरुरी है।
मगर अपनी शिकायत खुद करावोगे तो गम होगा ।।
जो आते है नहीं लाखो बुलावे पर अनिल ऐसे ।
अगर उनको बुलावोगे नहीं आये तो गम होगा॥
Sunday, October 24, 2010
इस दीवाली दीपों में
इस दीवाली दीपों में अरमान जलायेगे ।
हर्ष न चाहे तो फिर कैसे हर्ष मनायेगे ॥
दीवाली में तोहफों की बाते बेमानी है ।
गम है की अब कैसे खील बतासे आयेगे ॥
चपरासी के कामो को भी निपटा लेते है ।
पर हम चपरासी की भी तनखाह न पायेगे ।।
जाने को बेचैन बहुत पर जेबे ख़ाली है ।
इस दीवाली में हम घर को कैसे जायेगे ॥
इन बातो से क्या होता है बाते ही तो है ।
आती है हर साल दीवाली ख्वाब ये लायेगे ॥
कमरों में अंधियारे होगे दीप कहा होगे ।
हाथो को आँखों पर रखकर लेसको गायेगे ॥
लक्ष्मी से लक्ष्मी की बाते कैसे होगी अब ।
जो होता है अच्छा है दिल को समझायेगे ॥
हर्ष न चाहे तो फिर कैसे हर्ष मनायेगे ॥
दीवाली में तोहफों की बाते बेमानी है ।
गम है की अब कैसे खील बतासे आयेगे ॥
चपरासी के कामो को भी निपटा लेते है ।
पर हम चपरासी की भी तनखाह न पायेगे ।।
जाने को बेचैन बहुत पर जेबे ख़ाली है ।
इस दीवाली में हम घर को कैसे जायेगे ॥
इन बातो से क्या होता है बाते ही तो है ।
आती है हर साल दीवाली ख्वाब ये लायेगे ॥
कमरों में अंधियारे होगे दीप कहा होगे ।
हाथो को आँखों पर रखकर लेसको गायेगे ॥
लक्ष्मी से लक्ष्मी की बाते कैसे होगी अब ।
जो होता है अच्छा है दिल को समझायेगे ॥
Saturday, October 16, 2010
ये माना कि नज़र में हम
खुदा से क्या कहू अब मै वही तो है खुदा मेरे ।
दुवा को हाथ ये उठते नहीं क्या क्या करम है ॥
ये माना कि नज़र में हम नहीं है तो न रखिये बस ।
नज़र में तुम मेरी हो बस यही एहसान क्या कम है ॥
कभी मै जख्म खाकर भी नहीं रोया यहाँ इतना ।
तो फिर क्यों देखने पर आपको आँखे मेरी नम है ॥
बड़ी मजबूरिया है और बहुत गम भी छुपाये है ।
मगर हम मुस्कुराते है यही क्या बात है हम है ॥
चिरागों से नहीं अब रौशनी आती मेरे घर में ।
मै कैसे बोल दू कि अब बड़ा अच्छा ये मौसम है ॥
बड़े अरमान पाले थे कि कुछ तो गुफ्तगू होगी ।
मगर वो कुछ नहीं कहते ये हम पर तो सितम है
मेरे ख्वाबो में भी आने से कतराते है अब तो वो ।
यही एक रास्ता था उनसे मिलने का ये गम है ॥
अनिल अब तो चलो किससे कहोगे हाले दिल अपना ।
कि जिससे भी कहो हँसता है छोडो जो भरम है ॥
दुवा को हाथ ये उठते नहीं क्या क्या करम है ॥
ये माना कि नज़र में हम नहीं है तो न रखिये बस ।
नज़र में तुम मेरी हो बस यही एहसान क्या कम है ॥
कभी मै जख्म खाकर भी नहीं रोया यहाँ इतना ।
तो फिर क्यों देखने पर आपको आँखे मेरी नम है ॥
बड़ी मजबूरिया है और बहुत गम भी छुपाये है ।
मगर हम मुस्कुराते है यही क्या बात है हम है ॥
चिरागों से नहीं अब रौशनी आती मेरे घर में ।
मै कैसे बोल दू कि अब बड़ा अच्छा ये मौसम है ॥
बड़े अरमान पाले थे कि कुछ तो गुफ्तगू होगी ।
मगर वो कुछ नहीं कहते ये हम पर तो सितम है
मेरे ख्वाबो में भी आने से कतराते है अब तो वो ।
यही एक रास्ता था उनसे मिलने का ये गम है ॥
अनिल अब तो चलो किससे कहोगे हाले दिल अपना ।
कि जिससे भी कहो हँसता है छोडो जो भरम है ॥
Friday, September 10, 2010
ईद में गले मिलने का
ईद में गले मिलने का दस्तूर होता है ।
चाँद को देखने का मौका जरुर होता है ॥
मगर वो चाँद तो देखा ही नहीं मैंने अभी ।
कैसे कह दू कि मिलना जरुर होता है ॥
हटा दो जुल्फों को अपने चेहरे से जरा ।
हुस्न तो कभी मजबूर नहीं होता है ।।
चाँद देख लू मै मेरी भी ईद होने दो ।
ईद में चाँद सा चेहरा जरुर होता है ॥
चाँद को देखने का मौका जरुर होता है ॥
मगर वो चाँद तो देखा ही नहीं मैंने अभी ।
कैसे कह दू कि मिलना जरुर होता है ॥
हटा दो जुल्फों को अपने चेहरे से जरा ।
हुस्न तो कभी मजबूर नहीं होता है ।।
चाँद देख लू मै मेरी भी ईद होने दो ।
ईद में चाँद सा चेहरा जरुर होता है ॥
Monday, September 6, 2010
ईद से पहले भी ईद हो सकती
कुछ लोग ऐसे होते है अगर उन्हें लाख परदे में भी रखो तब भी वो सामने आ ही जाते है . और ऐसे आते है जैसे कोई झरना उछालता हुआ नीचे जमीन पर आता है और तमाम लोगो की प्यास बुझाता है । तुम्हे पता है ईद के चाँद का दीदार करने के लिए हम लोगो को पूरे साल इंतजार करना पड़ता है तब जाकर कही उसके दीदार होते है । लेकिन मै एक ऐसे चाँद को जनता हू जिसके दीदार के लिए साल भर इंतजार नहीं करना पड़ता । उसका दीदार कर लो ईद से पहले ईद हो जाएगी ।
कहते है ताजमहल चांदनी रात में बहुत खुबसूरत लगता है । मुझे नहीं पता क्यूकि मैंने उसे चांदनी रात में नहीं देखा है मगर हा मै पूरे यकीन के साथ कह सकता हू कि इस ताजमहल जैसा वो हो ही नहीं सकता ।
यकी नहीं आता कोई बात नहीं । उस चाँद की रौशनी इतनी तेज़ है कि वो असमान का चाँद भी उसके सामने फीका पड़ जाये । खूबसूरत इतना कि तमाम फूल उसके सामने अपना सर झुका देते है। अगर यकीं नहीं होता तो मै तस्वीर दिखा सकता हू उस चाँद कि फिर तुम खुद फैसला कर सकती हो कि तुम्हारा चाँद ज्यादा खूबसूरत है या मैंने जिसका दीदार किया है । बस फर्क इतना है कि उस चाँद के दीदार के बाद लोग गले मिलते है चाँद कि मुबारक बात देते है पर यहाँ न कोई गले मिलने वाला है न ही मुबारक बात देने वाला है । दो लाइन भी तो लिखनी है वो भी लिख देता हू । दो नहीं आज चार लाइन लिखता हूँ दो पर दो फ्री । ठीक है ।
हटा लो जुल्फ रुखसारो से तो फिर ईद हो जाये ।
कि आहिस्ता उठावो सर कि अब तो दीद हो जाये ।।
अभी ख्वाबो से लौटा हू मुझे ख्वाबो में रहने दो ।
कि ख्वाबो में सही मेरी भी तुम सी ईद हो जाये ॥ "
कहते है ताजमहल चांदनी रात में बहुत खुबसूरत लगता है । मुझे नहीं पता क्यूकि मैंने उसे चांदनी रात में नहीं देखा है मगर हा मै पूरे यकीन के साथ कह सकता हू कि इस ताजमहल जैसा वो हो ही नहीं सकता ।
यकी नहीं आता कोई बात नहीं । उस चाँद की रौशनी इतनी तेज़ है कि वो असमान का चाँद भी उसके सामने फीका पड़ जाये । खूबसूरत इतना कि तमाम फूल उसके सामने अपना सर झुका देते है। अगर यकीं नहीं होता तो मै तस्वीर दिखा सकता हू उस चाँद कि फिर तुम खुद फैसला कर सकती हो कि तुम्हारा चाँद ज्यादा खूबसूरत है या मैंने जिसका दीदार किया है । बस फर्क इतना है कि उस चाँद के दीदार के बाद लोग गले मिलते है चाँद कि मुबारक बात देते है पर यहाँ न कोई गले मिलने वाला है न ही मुबारक बात देने वाला है । दो लाइन भी तो लिखनी है वो भी लिख देता हू । दो नहीं आज चार लाइन लिखता हूँ दो पर दो फ्री । ठीक है ।
हटा लो जुल्फ रुखसारो से तो फिर ईद हो जाये ।
कि आहिस्ता उठावो सर कि अब तो दीद हो जाये ।।
अभी ख्वाबो से लौटा हू मुझे ख्वाबो में रहने दो ।
कि ख्वाबो में सही मेरी भी तुम सी ईद हो जाये ॥ "
Sunday, August 29, 2010
एंजेल तो होते है मानो या न मानो
शाहजहाँ को कबूतरों का बहुत शौक था । एक बार वो अपनी बेगम के साथ छत पर कबूतरों के साथ खेल रहे थे कि तभी कोई उनसे मिलने आ गया उन्होंने अपने सबसे प्यारे दो कबूतर अपनी बेगम के दोनों हाथो में दे दिए और चले गए । जब वो लौट कर आये तो देखा उनका एक कबूतर गायब है। शाहजहाँ को गुस्सा आ गया और अपनी बेगम से पूछा कि एक कबूतर कहा है । बेगम ने जवाब दिया कि वो तो उड़ गया । गुस्से से लाल शाहजहाँ ने पूछा कि कैसे । उस खुबसूरत बेगम ने अपने हाथ से दूसरा कबूतर भी छोड़ दिया और कहा कि ऐसे । बेगम कि इस मासूमियत को देखकर शाहजहाँ का सारा गुस्सा दूर हो गया और उन्होंने उस बेगम को मुमताज महल का ख़िताब दिया ।
जब मैंने ये कहानी पढ़ी तो तो मुझे लगा कि ये कैसे हो सकता है । कोई इतना मासूम कैसे हो सकता है । लेकिन आज मुझे ये लग रहा है नहीं मै गलत था । कोई उससे ज्यादा भी मासूम हो सकता है । खैर एक शायर साहब थे उन्हें जब किसी से कुछ कहना होता या कोई तोहफा देना होता तो उससे दो लाइन कह देते । एक बार ऐसे ही किसी को तोहफा देना था और उन्होंने फिर तोहफे में दो लाइन कह दी । तोहफा लेने वाले जनाब को गुस्सा आ गया और वो बोला क्या भाई इतनी दौलत है आप के पास उसमे से कुछ नहीं दे सकते । तो शायर साहब ने जवाब दिया कि मै तुम्हे अपनी सबसे बड़ी दौलत तोहफे में देता हू । ये दो लाइन ही मेरी सबसे बड़ी दौलत है । बात तब मेरी समझ में नहीं आई । लेकिन आज मै समझ चुका हू कि किसी के लिए कुछ लिखना ही सबसे बड़ी दौलत है। बशर्ते ये दौलत समझने वाला कोई हो नहीं तो सारी दुनिया जानती है कि ये लिखने वाले पागल होते है ।
मै हमेशा सोचा करता था कि क्या ऐसे लोग वाकई इस दुनिया में होते है । शायद खुदा को मेरी इस बात का पता चल गया । और उसने मुझे एक ऐसे शख्स से मिला दिया दिया कि उसे देखकर मेरी सारी बाते समझ में आ गयी । अगर मै कोई शायर होता दो लाइन लिखता लेकिन कुछ न कुछ तो लिखना ही है । उसके टेसू के फूल जैसे होठ जब खुलते तो ऐसा लगता कि मानो सारी कायनात उसके होठो पर आ के ठहर सी गयी है । चेहेरे पर खिलखिलाती तब्बसुम , जुल्फों में मचलते सरारे , गले से गुनगुनाती तरन्नुम को देख कर ऐसा लगा कि शाहजह अपनी जगह पर बिलकुल सही था । पवित्रता इतनी कि जैसे वो गंगा जल में स्नान करके निकली हो है । अगर मै भी कोई बादशाह होता तो शायद मै भी दो चार ख़िताब देता पर अफ़सोस ऐसा कुछ भी नहीं है । कोई बात नहीं सब चलता है ।
एक शायर साहब ने लिखा कि मै रोज़ खुदा से दुवा में उसे मागता हू और ये भी मागता हू कि कोई उसे मागता न हो । तो दूसरे ने फ़रमाया कि सबकुछ खुदा से मांग लिया तुम को मांग कर उठते नहीं है हाथ मेरे इस दुवा के बाद ये बात मेरे गले से नहीं उतरत थी कि कोई किसी को इतनी तवज्जो कैसे दे सकता है । लेकिन एक एक कर के उसने मेरे सारे भरम तोड़ दिए । और ऐसे तोड़े कि मै भी लिखने लगा हलाकि मै वैसा नहीं लिख सकता फिर भी । मै हमेशा ये सोचता कि कोई इतना मासूम और इतना खुबसूरत कैसे हो सकता है कि शायर उस पर ग़ज़ल लिखे , कवि कविता रचे और कहानीकार कहानी लिखे पर मुझे आज उन सब बातो पर यकीं हो गया जिन्हें मै नहीं मानता था ।
उपर वाले की बनाई इस खूबसूरत दुनिया में दो तरह के इंसान रहते है , बसते है , ज़िन्दगी जीते है , जिंदगी बिताते है और ज़िन्दगी काटते है । मगर कुछ ऐसे लोग होते है जिनसे ये दुनिया खूबसूरत हो जाती है। कुछ लोग ऐसे होते है जो सिर्फ तन के सुन्दर होते है और कुछ लोग सिर्फ मन के सुन्दर होते है लेकिन ऐसा बहुत ही कम देखने को मिलता है की जो तन का भी सुन्दर हो और मन का भी । अगर ऐसा इन्सान मिलता है जो तन और मन दोनों का सुन्दर हो तो उसे सिजदा करने को दिल चाहता है हलाकि मै जानता हूँ की इंसानों को सिजदा नहीं किया जाता पर ये तो दिल है इसका क्या करे । उसकी चन्दन सी महकती खुशबू को क्या कोई माथे से नहीं लगाना चाहेगा । पवित्र इतनी कि गीता कि जगह उसकी कसम खायी जा सकती है ।
ऐसा लगता है की उसका बुत बनाया जाये और पूजा की जाये । दुनिया में इनका आना ही बड़ी बात है क्युकी अच्छे लोगो की जरुरत तो उस खुदा को भी होती है । कोई अगर उनसे जा कर पूछे की ये खूबसूरत अंदाज़ और ये खूबसूरत दिल कहा से लाये हो तो ज़वाब ये देते है की खूबसूरती तो देखने वाले की नज़र में होती है । अब आप ही बताइए इतना खूबसूरत कोई और होगा जो ऐसा जवाब देता है कि आप अपने आप को बहुत अच्छा समझने लगते है भले ही वो झूठ हो ।
एंजेल कोई आसमान से थोड़ी उतरते है वो भी इंसान होते है लेकिन वो इतने प्यारे होते है की वो एंजेल हो जाते है और हा ऐसे एंजेल बहुत प्यारे , बहुत मासूम होते है . नाज़ुक इतने कि गुलाब का फुल भी उसके सामने सर झुका देता है . स्वीट इतना की कहिये मत । उसकी आवाज़ में इतनी मिठास है की शहद भी फीका पड़ जाये तभी तो लोग ऐसे एंजेल को स्वीट एंजेल कहते है । और यकीं मानिये स्वीट एंजेल हमारे आस पास ही होते है लेकिन मिलते बहुत ही मुस्किल से है और वो जब आपकी किस्मत अच्छी हो तो ।
लोग कहते है चाँद बहुत खुबसूरत है, तारे बहुत अच्छे लगते है , झरनों का शोर बहुत प्यारा लगता है लेकिन मै कहता हु कि अगर एक बार किसी ने उस इन्सान का दीदार कर लिया जो धरती को जन्नत बना देता है तो वो सारी बाते भूल जायेगा । बस याद रहेगा तो इतना कि खुदा तूने तो मुझे जन्नत जैसी धरती दी थी लेकिन वो इन्सान ही है जो इसे दोज़ख बना देते है लेकिन तेरा लाख लाख शुक्र है कि ऐसे लोग भी धरती पर है जिनकी वजह से इसका वजूद है ।
खैर इतना काफी है बहुत लिखुगा तो लोग मुझे पागल समझेगे । कोई बात नहीं जैसे लोगो की बात करने ,चिल्लाने कि और न जाने क्या क्या आदत होती है । मेरी तो सिर्फ लिखने की आदत है तो ये कैसे बदलेगी लिखता जाऊंगा बस ।
जब मैंने ये कहानी पढ़ी तो तो मुझे लगा कि ये कैसे हो सकता है । कोई इतना मासूम कैसे हो सकता है । लेकिन आज मुझे ये लग रहा है नहीं मै गलत था । कोई उससे ज्यादा भी मासूम हो सकता है । खैर एक शायर साहब थे उन्हें जब किसी से कुछ कहना होता या कोई तोहफा देना होता तो उससे दो लाइन कह देते । एक बार ऐसे ही किसी को तोहफा देना था और उन्होंने फिर तोहफे में दो लाइन कह दी । तोहफा लेने वाले जनाब को गुस्सा आ गया और वो बोला क्या भाई इतनी दौलत है आप के पास उसमे से कुछ नहीं दे सकते । तो शायर साहब ने जवाब दिया कि मै तुम्हे अपनी सबसे बड़ी दौलत तोहफे में देता हू । ये दो लाइन ही मेरी सबसे बड़ी दौलत है । बात तब मेरी समझ में नहीं आई । लेकिन आज मै समझ चुका हू कि किसी के लिए कुछ लिखना ही सबसे बड़ी दौलत है। बशर्ते ये दौलत समझने वाला कोई हो नहीं तो सारी दुनिया जानती है कि ये लिखने वाले पागल होते है ।
मै हमेशा सोचा करता था कि क्या ऐसे लोग वाकई इस दुनिया में होते है । शायद खुदा को मेरी इस बात का पता चल गया । और उसने मुझे एक ऐसे शख्स से मिला दिया दिया कि उसे देखकर मेरी सारी बाते समझ में आ गयी । अगर मै कोई शायर होता दो लाइन लिखता लेकिन कुछ न कुछ तो लिखना ही है । उसके टेसू के फूल जैसे होठ जब खुलते तो ऐसा लगता कि मानो सारी कायनात उसके होठो पर आ के ठहर सी गयी है । चेहेरे पर खिलखिलाती तब्बसुम , जुल्फों में मचलते सरारे , गले से गुनगुनाती तरन्नुम को देख कर ऐसा लगा कि शाहजह अपनी जगह पर बिलकुल सही था । पवित्रता इतनी कि जैसे वो गंगा जल में स्नान करके निकली हो है । अगर मै भी कोई बादशाह होता तो शायद मै भी दो चार ख़िताब देता पर अफ़सोस ऐसा कुछ भी नहीं है । कोई बात नहीं सब चलता है ।
एक शायर साहब ने लिखा कि मै रोज़ खुदा से दुवा में उसे मागता हू और ये भी मागता हू कि कोई उसे मागता न हो । तो दूसरे ने फ़रमाया कि सबकुछ खुदा से मांग लिया तुम को मांग कर उठते नहीं है हाथ मेरे इस दुवा के बाद ये बात मेरे गले से नहीं उतरत थी कि कोई किसी को इतनी तवज्जो कैसे दे सकता है । लेकिन एक एक कर के उसने मेरे सारे भरम तोड़ दिए । और ऐसे तोड़े कि मै भी लिखने लगा हलाकि मै वैसा नहीं लिख सकता फिर भी । मै हमेशा ये सोचता कि कोई इतना मासूम और इतना खुबसूरत कैसे हो सकता है कि शायर उस पर ग़ज़ल लिखे , कवि कविता रचे और कहानीकार कहानी लिखे पर मुझे आज उन सब बातो पर यकीं हो गया जिन्हें मै नहीं मानता था ।
उपर वाले की बनाई इस खूबसूरत दुनिया में दो तरह के इंसान रहते है , बसते है , ज़िन्दगी जीते है , जिंदगी बिताते है और ज़िन्दगी काटते है । मगर कुछ ऐसे लोग होते है जिनसे ये दुनिया खूबसूरत हो जाती है। कुछ लोग ऐसे होते है जो सिर्फ तन के सुन्दर होते है और कुछ लोग सिर्फ मन के सुन्दर होते है लेकिन ऐसा बहुत ही कम देखने को मिलता है की जो तन का भी सुन्दर हो और मन का भी । अगर ऐसा इन्सान मिलता है जो तन और मन दोनों का सुन्दर हो तो उसे सिजदा करने को दिल चाहता है हलाकि मै जानता हूँ की इंसानों को सिजदा नहीं किया जाता पर ये तो दिल है इसका क्या करे । उसकी चन्दन सी महकती खुशबू को क्या कोई माथे से नहीं लगाना चाहेगा । पवित्र इतनी कि गीता कि जगह उसकी कसम खायी जा सकती है ।
ऐसा लगता है की उसका बुत बनाया जाये और पूजा की जाये । दुनिया में इनका आना ही बड़ी बात है क्युकी अच्छे लोगो की जरुरत तो उस खुदा को भी होती है । कोई अगर उनसे जा कर पूछे की ये खूबसूरत अंदाज़ और ये खूबसूरत दिल कहा से लाये हो तो ज़वाब ये देते है की खूबसूरती तो देखने वाले की नज़र में होती है । अब आप ही बताइए इतना खूबसूरत कोई और होगा जो ऐसा जवाब देता है कि आप अपने आप को बहुत अच्छा समझने लगते है भले ही वो झूठ हो ।
एंजेल कोई आसमान से थोड़ी उतरते है वो भी इंसान होते है लेकिन वो इतने प्यारे होते है की वो एंजेल हो जाते है और हा ऐसे एंजेल बहुत प्यारे , बहुत मासूम होते है . नाज़ुक इतने कि गुलाब का फुल भी उसके सामने सर झुका देता है . स्वीट इतना की कहिये मत । उसकी आवाज़ में इतनी मिठास है की शहद भी फीका पड़ जाये तभी तो लोग ऐसे एंजेल को स्वीट एंजेल कहते है । और यकीं मानिये स्वीट एंजेल हमारे आस पास ही होते है लेकिन मिलते बहुत ही मुस्किल से है और वो जब आपकी किस्मत अच्छी हो तो ।
लोग कहते है चाँद बहुत खुबसूरत है, तारे बहुत अच्छे लगते है , झरनों का शोर बहुत प्यारा लगता है लेकिन मै कहता हु कि अगर एक बार किसी ने उस इन्सान का दीदार कर लिया जो धरती को जन्नत बना देता है तो वो सारी बाते भूल जायेगा । बस याद रहेगा तो इतना कि खुदा तूने तो मुझे जन्नत जैसी धरती दी थी लेकिन वो इन्सान ही है जो इसे दोज़ख बना देते है लेकिन तेरा लाख लाख शुक्र है कि ऐसे लोग भी धरती पर है जिनकी वजह से इसका वजूद है ।
खैर इतना काफी है बहुत लिखुगा तो लोग मुझे पागल समझेगे । कोई बात नहीं जैसे लोगो की बात करने ,चिल्लाने कि और न जाने क्या क्या आदत होती है । मेरी तो सिर्फ लिखने की आदत है तो ये कैसे बदलेगी लिखता जाऊंगा बस ।
Friday, August 27, 2010
बदलते वक़्त में बदले हुए हालत
बदलते वक़्त में बदले हुए हालत देखे है ।
गुजरते वक़्त में बहते हुए जज़्बात देखे है ॥
नहीं बदला मगर वो आपका हँसता हुवा चेहरा ।
कि जिस चेहरे पे हमने डूबते दिन रात देखे है ॥
गुजरते वक़्त में बहते हुए जज़्बात देखे है ॥
नहीं बदला मगर वो आपका हँसता हुवा चेहरा ।
कि जिस चेहरे पे हमने डूबते दिन रात देखे है ॥
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