Sunday, November 14, 2010

मुझे है याद वो दिन

मुझे है याद वो दिन जब कि हम झंडा उठाते थे ।
कि वन्दे मातरम गाते हुवे स्कूल जाते थे ॥
मुझे है याद वो सारे सबक जो भी पढ़े थे तब ।
मगर उनको न देखू तो सबक सब भूल जाते थे ॥
अगर मुझको पता चलता कि वो छुट्टी पे बैठे है ।
तो सच मानो कि उस दिन हम भी गोला मार जाते थे ॥
वो चाचा का जन्म दिन था नहीं मै आज तक भूला ।
कि उस अवसर पे हम घर से गुलाबी फूल लाते थे ॥
उन्हें हम फेकते थे उनको गालो पर न जाने क्यों ।
कि उनके देखने पर हम बहुत कम मुस्कुराते थे ॥
न जाने क्या लड़कपन था न जाने क्या थी तब मर्ज़ी ।
कि हम झोले में अपने एक गुडिया लेके जाते थे ॥
दिखा कर उसको हम अनजान से कुछ देर हो जाते ।
मगर फिर से वही हम खेल दोहराते ही जाते थे ॥
वो उनको इस तरह छूना कि कुछ भी देख न पाए ।
न जाने क्यों उठा कर उनकी तख्ती भाग जाते थे ॥
वो चोटी खीच कर एकदम से उनके सामने आना ।
कि उसके सर हिलाने पर नहीं फुले समाते थे ॥
क्रमशा ......

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