इस दीवाली दीपों में अरमान जलायेगे ।
हर्ष न चाहे तो फिर कैसे हर्ष मनायेगे ॥
दीवाली में तोहफों की बाते बेमानी है ।
गम है की अब कैसे खील बतासे आयेगे ॥
चपरासी के कामो को भी निपटा लेते है ।
पर हम चपरासी की भी तनखाह न पायेगे ।।
जाने को बेचैन बहुत पर जेबे ख़ाली है ।
इस दीवाली में हम घर को कैसे जायेगे ॥
इन बातो से क्या होता है बाते ही तो है ।
आती है हर साल दीवाली ख्वाब ये लायेगे ॥
कमरों में अंधियारे होगे दीप कहा होगे ।
हाथो को आँखों पर रखकर लेसको गायेगे ॥
लक्ष्मी से लक्ष्मी की बाते कैसे होगी अब ।
जो होता है अच्छा है दिल को समझायेगे ॥
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