सुबह कि शांत आभा से कोई, मिलकर बताये तो ।
चहकते पंक्षियों का कुछ, चहकना भी सुनाये तो ॥
अगर इतना ही मुस्किल है, नज़र हो फेर कर बैठे ।
झुकी रहने दो इनको बस, कोई सूरत दिखाए तो ॥
***********
नयन दर्शन से पुलकित हैं, अधर कुछ कह नहीं पाए ।
ह्रदय से है नमन इस पल, कि ये पल भर ठहर जाये ॥
है कितनी शांत सी मूरत , या मंदिर का कोई दीपक ।
चमकता स्वर्ण सा मस्तक, कहा से हो इसे लाये ॥
सरलता से कई दिन तक, ये मौसम फिर यहाँ रहता ।
ह्रदय से कुछ कहा करते, जो सुन लेते सुना जाएँ ॥
भ्रमर क्यों गा रहा है, इस तरह सुर को भुला करके ।
मुझे भी देखना है अब, सुरीलापन दिखा जाये ॥
बहुत सुन्दर!
ReplyDeleteअच्छी कामनाएँ है!
सुन्दर!
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति - अच्छी पोस्ट , शुभकामनाएं । पढ़िए "खबरों की दुनियाँ"
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDelete