ईद में गले मिलने का दस्तूर होता है ।
चाँद को देखने का मौका जरुर होता है ॥
मगर वो चाँद तो देखा ही नहीं मैंने अभी ।
कैसे कह दू कि मिलना जरुर होता है ॥
हटा दो जुल्फों को अपने चेहरे से जरा ।
हुस्न तो कभी मजबूर नहीं होता है ।।
चाँद देख लू मै मेरी भी ईद होने दो ।
ईद में चाँद सा चेहरा जरुर होता है ॥
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