कहते है ताजमहल चांदनी रात में बहुत खुबसूरत लगता है । मुझे नहीं पता क्यूकि मैंने उसे चांदनी रात में नहीं देखा है मगर हा मै पूरे यकीन के साथ कह सकता हू कि इस ताजमहल जैसा वो हो ही नहीं सकता ।
यकी नहीं आता कोई बात नहीं । उस चाँद की रौशनी इतनी तेज़ है कि वो असमान का चाँद भी उसके सामने फीका पड़ जाये । खूबसूरत इतना कि तमाम फूल उसके सामने अपना सर झुका देते है। अगर यकीं नहीं होता तो मै तस्वीर दिखा सकता हू उस चाँद कि फिर तुम खुद फैसला कर सकती हो कि तुम्हारा चाँद ज्यादा खूबसूरत है या मैंने जिसका दीदार किया है । बस फर्क इतना है कि उस चाँद के दीदार के बाद लोग गले मिलते है चाँद कि मुबारक बात देते है पर यहाँ न कोई गले मिलने वाला है न ही मुबारक बात देने वाला है । दो लाइन भी तो लिखनी है वो भी लिख देता हू । दो नहीं आज चार लाइन लिखता हूँ दो पर दो फ्री । ठीक है ।
हटा लो जुल्फ रुखसारो से तो फिर ईद हो जाये ।
कि आहिस्ता उठावो सर कि अब तो दीद हो जाये ।।
अभी ख्वाबो से लौटा हू मुझे ख्वाबो में रहने दो ।
कि ख्वाबो में सही मेरी भी तुम सी ईद हो जाये ॥ "
बहुत खूब !!
ReplyDelete