Sunday, August 7, 2011

हाले दिल जब भी सुनते है उन्हें

हाले दिल जब भी सुनाते है उन्हें ।
देख कर वो मुस्कुराते है हमे ॥
भूलना हम चाहते है उनको जब ।
तब वो हरदम याद आते है हमे ॥

देखने को हम उन्हें बेज़ार है ।
वो न जाने क्यों सताते है हमे ॥
ठीक है उनकी अदा देखेगे हम ।
पूछेगे क्यों आजमाते है हमें ॥

क्या करे उस चाँद के दीदार को ।
बोलते ही चुप कराते है हमे ॥
जब भी पूछो कब मिलोगे, ईद में ।
इस तरह से अब बताते है हमे ॥

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