Sunday, August 14, 2011

शहीदों को झुकावो सिर

शहीदों को झुकावो सिर, जवानों ने ये गया है ।
लगावो धूल को सिर पर, वतन में चैन आया है ॥

वो बिस्मिल थे, भगत सिंह थे, ज़मीं को दे लहू अपना ।
जिन्होंने वर्षो देखा था, अनोखे देश का सपना ॥

फूल सर का अशफ़ाक ने, इस पर चढ़ाया है ।
शहीदों को झुकावो सिर, जवानों ने या गया है ॥

शहीदों ने सजायी माँग माँ की, खून देकर के ।
चुका सकते नहीं एहसान, ये सौ बार भी मर के ॥

खबर तुमको नहीं हमने क्या खोया और पाया है ।
बहुत ही बार हमको, दुश्मनों ने आजमाया है ॥

कसम हमको मरे हम, देश की खातिर वतन वालो ।
तुम्हे आवाज़ माँ देती है तुम सीमाए संभालो ॥

सिकंदर को हमी पोरश ने, झेलम से भगाया है ।
शहीदों को झुकावो सर, जवानों ने ये गया है ॥

हमे है दोस्त प्यारे साथ में, दुश्मन भी प्यारे है ।
हमारी दोस्ती और दुश्मनी, के नुस्खे प्यारे है ॥

करोगे प्यार से बातें, करेगें बात हम प्यारी ।
मगर सुन लो हमे चेतावनी, बिलकुल नहीं प्यारी ॥

अरोड़ा ने नियाजी को, सबक अच्छा सिखाया है ।
शहीदों को झुकावो सिर, जवानों ने ये गया है ॥

(१२-०२-१९९९)

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