Tuesday, October 25, 2011

दिए की रौशनी से सब अँधेरा दूर हो जाये

दिए की रौशनी से सब अँधेरा दूर हो जाये ,
जो दिल में ख्वाहिशे हो वो सभी मंजूर हो जाये
जो अब तक बात दिल में है उसे बहार निकालने दो
जाने कौन सी हो बात जो मशहूर हो जाये

दिए की लौ जरा जलकर निखर जाये तो चलता हूँ ,
वो उनका चाँद सा चेहरा नज़र आये तो चलता हू
सुना है की नज़र उनकी क़यामत है तो होने दो ,
नज़र उनकी इधर एक बार जाये तो चलता हू

हमे कुरता पहनना था बड़ी अच्छी हिदायत है ,
मज़ा तो तब था जब की आप भी घाघरा सिला लेते
महक चारो तरफ बहती चमक चारो तरफ रहती ,
रंगोली ही सजा लेते की कुछ दीपक जला लेते

बुझे चेहरे नज़र मायूश लव खामोश है देखो,
अरे सब साथ आ जाते तो महफ़िल ही सजा लेते ॥
हमे रुकने की जिद है और उन्हें चलने की बेताबी,
की मुंह मीठा करा देते की मुंह मीठा करा लेते ॥

2 comments:

  1. आपकी पोस्ट आज के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
    कृपया पधारें
    चर्चा मंच-680:चर्चाकार-दिलबाग विर्क

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  2. दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ.....

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