जब ढलती शाम सुहानी हो , कोई मीरा दीवानी हो ।
जब थाल सजाया जाता हो , जयमाल उठाया जाता हो ॥
तब याद तुम्हारी आती है, तब याद तुम्हारी आती है ।
जब दीपक जलने वाला हो , हाथो में तुलसी माला हो ॥
कोई मूरत प्यारी प्यारी हो , जब पूजा कि तैयारी हो ।
तब याद तुम्हारी आती है, तब याद तुम्हारी आती है ।
जब सूरज जगने वाला हो , किरणों का रूप निराला हो ।।
जब कोयल कूक सुनाती है, जाने क्या कह कर जाती है।
तब याद तुम्हारी आती है, तब याद तुम्हारी आती है ।
जब सन्नाटा सा होता है, कोई छुप छुप कर रोता है ।
नैनो में मोती रहते है , ये सच है कुछ तो कहते है ॥
तब याद तुम्हारी आती है, तब याद तुम्हारी आती है ।
जब दूर कही कुछ बाते हो , रुक रुक कर जब बरसाते हो ।।
कुछ मेघ गगन में रहते हो , रुक रुक कर कुछ तो कहते हो ।
तब याद तुम्हारी आती है, तब याद तुम्हारी आती है । ।
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