Sunday, February 14, 2010

सूरज निकलता है तो चाँद छिप जाता है

सूरज निकलता है तो चाँद छिप जाता है ।
रात बीतती जाती है तो सुबह आता है ॥
ये तो दुनियां का दस्तूर है ए अनिल ।
कोई रोता है तो कोई मुस्कराता है ॥
पतझर के बाद एक बसंत जरूर आता है ।
पर मेरे पास पतझर आ कर ठहर जाता है ॥
मै टूटे हुए पत्ते की तरह उड़ता रहता हूँ इधर ।
उधर वक़्त मेरे हाथ से निकल जाता है ॥
मेरी उम्मीद से आगे भी एक दुनिया है ।
मेरी उम्मीद का दामन भी कम हो जाता है ॥
लोग कहते है प्यार के लिए वक़्त कुछ नहीं होता ।
फिर हर साल वेलेन्टएन डे क्यों आता है ॥
पहले तो पंद्रह अगस्त छब्बीस जनवरी मनाते थे ।
पर आज हर आदमी वेलेंटाएन डे मनाता है ॥
दिल में हज़ार बाते हज़ार सपने है लेकिन ।
उन बातों के लिए कभी वक़्त कहाँ आता है ॥

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