Sunday, February 7, 2010

पुतले सजेगे गलियो में बाज़ार न बिकेगा

पुतले सजेगे गलियो में बाज़ार न बिकेगा ।
सिक्को के लिए अपना एतबार न बिकेगा ॥
तुम कुछ भी कहो दोस्तों की बात भी सुनो ।
इस दोस्ती के बदले वो प्यार न बिकेगा ॥
हमको है अपना ये घर दोनों जहाँ से प्यारा ।
पर घर के लिए उसका संसार न बिकेगा ॥
दिलवर रहो दिलो में वो ही जगह है अच्छी।
बिकने दो मुझे पर मेरा अधिकार न बिकेगा ॥
मतलब परस्त लोगों से हो दूर है अच्छा ।
कुरबानियो का कोई भी मजार न बिकेगा ॥
गर तुमने आज मुझको रुसवां किया यहाँ पर ।
फिर देखना अब कोई तलबगार न बिकेगा ॥

No comments:

Post a Comment