Tuesday, September 8, 2009

ये कैसे आई लव पे लाली गुलाब की ।
क्या झुक गई थी लव पे डाली गुलाब की ।
जर्बान रुक गई अरे जब लव पे बल पड़े ।
माहेशिकस्त बन के वो छत पर निकल पड़े ।
हम बुत से बन गए है और बुत है चल पड़े
खालिश खलिश में पड़ गया गुलनार कौन है ।
शब् आखिरे में निकला सरकार कौन है ।
हर गाम चुस्त था फिर कैसे फिसल पड़े ।
माहेशिकस्त बन के वो छत पर निकल पड़े ।
हम बुत से बन गए है और बुत है चल पड़े ।

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