Sunday, July 24, 2016

राजनीति ने दलित सवर्णों का बंटवारा कर डाला।
आपस के भाई चारे में नफरत गाली भर डाला।

हर चौराहे पर धरना है लाज बचावो लाज बचावो।
अपनी लाज बचाने को इक चीर हरण फिर कर डाला।

सम्मानों के परमवीर कुछ चौराहों पर घूम रहे।
अपनी बहन बहिन कह के दूजे पर हमला कर डाला।

इज़्ज़त इज़्ज़त बड़ा शब्द है बड़ी बात है मालूम है ?
अपनी रख लो उसकी ले लो राजनीति का सच काला।

कुर्सी , सत्ता , राज चुनावो में आते है जाते है।
पर नेतावो ने जनता को भीड़ बना कर रख डाला।

बड़ा कठिन है बड़ा कुटिल है राजनीति का खेल अनिल।
सच को झूठा कहना पड़ता झूठा है सच सच वाला। 

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