Sunday, May 22, 2011

कभी कुछ बात कह देते

कभी कुछ बात कह देते, कभी कुछ बात सुन लेते ।
भरोसा जिंदगी का कुछ नहीं, हालत सुन लेते ॥
मेरी मजबूरियों से कब तलक, नज़रे चुरावोगे ।
कि कुछ जज़्बात कह देते, कि कुछ जज़्बात सुन लेते ॥

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वो चाँद देखने कि हसरत थी, कई दिन से ।
एक बार जरा चेहेरे से, जुल्फों को हटा लेते ॥
नजरो को उठाते जरा, आहिस्ता से कुछ ऊपर ।
एक बार देख लेते कुछ, मुस्कुरा ही देते ॥

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सितारों कि कमी तुमको नहीं ये जानता हू मै ।
बहारो कि कमी तुमको नहीं ये मानता हू मै ॥
मगर वो रौशनी हो तुम जो रोशन जिंदगी कर दे ।
यकी कर लो तुम्हे तो दूर से पहचानता हू मै ॥

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कोई ख़ुशी न थी, तो कोई गम भी तो न था ।
उन्हें देखना किसी जन्नत से कम भी तो न था ॥
मुझे कभी किसी का इंतजार न था पर अब है ।
कुछ अधूरा सा लगता है ये पहले तो न था ॥

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महकती हवा आ रही है किधर से ।
ये खुशबु तुम्हारी क्या पहचानती है॥
न नज़रे चुरावो न नज़रे झुकावो ।
हवा तो हवा है ये सब जानती है ॥

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हमारी बात कब तक जाएगी उन तक खुदा जाने ।
कि लब सी के है बैठे न जाने क्यों खुदा जाने ॥
कि कितनी मुश्किलो पे वो हसे थे याद है मुझको ।
मगर अब कुछ नहीं कहते हुवा ये क्या खुदा जाने ॥

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हर एक बात पे कहते है कि मतलब क्या है ।
कोई बताये जरा रह कोई अब क्या है ॥

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