मुबारक सबको आज़ादी का परचम आज के दिन पर ।
कि ये दिन एक नयी सुबह दिखा जाये तो अच्छा है ॥
न डर हो अपने हालातो से ज़ज्बातो की कीमत हो ।
की ठोकर लग के उठकर खुद संभल जाये तो अच्छा है ॥
मुझे कुछ भी नहीं कहना मगर एक इतनी गुजारिश ।
जो शोलो सा दहकता है वो जल जल जाये तो अच्छा है ॥
चरागों को अभी कुछ देर जलने दो किनारों पर ।
जो दिल में बंद है तूफ़ा निकल जाये तो अच्छा है ॥
बड़े दिन से है रखे तीर तरकश में ना जाने क्यों ।
जो दुश्मन देश के उन पर ये चल जाये तो अच्छा है ॥
कही पर कारवां कुर्बानियों का रुक न जाये ये ।
कि अपने देश पर ये दम निकल जाये तो अच्छा है ॥
No comments:
Post a Comment