Saturday, August 14, 2010

मुबारक सबको आज़ादी का परचम आज के दिन पर ।

कि ये दिन एक नयी सुबह दिखा जाये तो अच्छा है ॥

न डर हो अपने हालातो से ज़ज्बातो की कीमत हो ।

की ठोकर लग के उठकर खुद संभल जाये तो अच्छा है ॥

मुझे कुछ भी नहीं कहना मगर एक इतनी गुजारिश ।

जो शोलो सा दहकता है वो जल जल जाये तो अच्छा है ॥

चरागों को अभी कुछ देर जलने दो किनारों पर ।

जो दिल में बंद है तूफ़ा निकल जाये तो अच्छा है ॥

बड़े दिन से है रखे तीर तरकश में ना जाने क्यों ।

जो दुश्मन देश के उन पर ये चल जाये तो अच्छा है ॥

कही पर कारवां कुर्बानियों का रुक न जाये ये ।

कि अपने देश पर ये दम निकल जाये तो अच्छा है ॥

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