Wednesday, March 11, 2009

नील गगन भी झुक गया देख तुम्हारा रूप ।

सूरज निकला ही नही खिली सुनहरी धुप॥

नैनो की भाषा भली कह दे दिल का हाल

अच्छा हो या बुरा हो रहता नही खयाल ॥

बैठे तो पलके उठी आखे हो गई चार ।

दोबारा दर्शन नही रह गए पंथ निहार ॥

सुन्दरता ख़ुद ढूढती लेकर दीप ।

मोती चमके नाक में खाली रह गया सीप ॥

ताजमहल मैला हुवा देख तुम्हारा अंग ।

मै क्या तुमको देख कर दुनिया रह गई दंग ॥

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