मै ये तो जनता हूँ एक दिन समझेगे वो मुझको ।
मगर कब तक निहारेगा कोई मंजिल खड़ी होगी ॥
कही पर वो खड़े होगे कही पर हम खड़े होगे ।
रहेगे साथ पर जाने कोई उलझन पड़ी होगी । ।
कई मजबूरिया होगी कोई मौसम नया होगा ।
कदम चाहेगे चलना पर कोई बेडी पड़ी होगी ॥
मै यू तो पार कर जाउगा सारे गम ज़माने के ।
मगर ना था पता की सामने तू भी खड़ी होगी॥
नज़र में कुछ नया होगा डगर भी तो नयी होगी ।
जिसे मै ढूढ़ता हू आज तक वो कल कही होगी ॥
कोई मौसम नहीं हू जो मै कुछ दिन में बदल जाऊ ।
यही पर मै खड़ा हू याद ये उनको कभी होगी ॥
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