Monday, March 1, 2010

सुबह होली सहर होली की हर घर और नगर होली

मुबारक क्या कहूं उस दम मुबारक हो गयी होली ।
सुबह होली सहर होली की हर घर और नगर होली ।
खुली जुल्फे खुली होली बंधी जुल्फें मगर होली ॥
गुलाबी रंग महकता है कदम उनका बहकता है ।
की मंज़र मिल गया कैसा है उनकी हर नज़र होली ॥
जो मेरे साथ ना होली तो उसके साथ ही होली।
खिले होली मिले होली जो होली थी किधर होली ॥
रंगे होली सुबह से ही की जिस पल तुमने ली होली ।
जिधर रुख कर दिया तुमने वो होली फिर उधर होली ॥
कहाँ होली किधर होली की रातो में जली होली ।
उड़ाया तुमने जो दामन तो होली उस डगर होली ॥

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