Friday, November 6, 2009

किसको फुर्सत है दिल लगाने की

किसको फुर्सत है दिल लगाने की ।
किसको ख्वाहिश है मुस्कुराने की ॥
तुम न आवोगे मगर जाने क्यों ।
मै राह तकता हूँ तेरी आने की ॥
एक था वक्त खुशी नाचती थी चेहरे पे ।
अब शायद लग गई नज़र मुझे ज़माने की ।।
तरसता हूँ की कोई हंस के बात ही कर ले ।
ढूढता हूँ कोई वज़ह मै मुस्कराने की ॥
अपनी नज़रे भी खुली छोड़ दी मैंने अब ।
शायद लम्हा कोई ले आए ख़बर आने की ॥
अब बेजार और बेजान हुए जाते है ।
उनको जिद मेरी हिम्मत को आजमाने की ॥

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