Anil Kumar Aksh
Friday, October 2, 2009
जब भी मै मुसीबतों
जब भी मै मुसीबतों से घिर जाता हूँ ।
तुमको देखता हूँ और मुस्कराता हूँ ॥
तुम लाख ना देखो मुझको ये अनिल ।
मगर मै हूँ की तुम्हे देखता जाता हूँ ॥
वक्त आता है चला जाता है चंद सांसे है गुजर जाने दो ।
ये तो खुशुबू है मत रोको इसको फिजावो में बिखर जाने दो
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