कंट्री क्लब में मन रहा मेडमा का नव वर्ष ।
नज़र जिधर भी जा रही उधर हर्ष ही हर्ष ॥
लम्हा लम्हा करके के नया साल आ गया ।
जाने वाला क्या क्या नए गुल खिला गया ॥
कितने चेहरे जो मिले थे खो गए कहीं ।
कितने नए चेहरों को हमसे मिला गया ॥
तो जिस तरफ देखिये उस तरफ हर्ष है ।
इस तरफ हर्ष भी उस तरफ हर्ष है ॥
है नज़र उठ रही जा रही अर्श तक ।
अर्श पर हर्ष है फर्श पर हर्ष है ॥
एक वो साल था एक ये साल है ।
तब भी खुशहाल था अब भी खुशहाल है ॥
एक वो वर्ष था एक ये वर्ष है ।
तब भी संघर्ष था अब भी संघर्ष है ॥
हर तरफ हर्ष है हर तरफ हर्ष है ।
दीजिये और कुछ जो परामर्श है ॥
मै भी हूँ हर्ष में तुम भी तो हर्ष हो ।
अब तो उत्कर्ष है अब तो उत्कर्ष हो ।।
क्या कहूं हर्ष से क्या कहूं हर्ष को ।
हर्ष से पूछिए आज क्यों हर्ष है ॥
वो भी नव वर्ष था ये भी नव वर्ष है ।
हर्ष में मेडमा मेडमा हर्ष है ॥
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