नील गगन भी झुक गया देख तुम्हारा रूप ।
सूरज निकला ही नही खिली सुनहरी धुप॥
नैनो की भाषा भली कह दे दिल का हाल
अच्छा हो या बुरा हो रहता नही खयाल ॥
बैठे तो पलके उठी आखे हो गई चार ।
दोबारा दर्शन नही रह गए पंथ निहार ॥
सुन्दरता ख़ुद ढूढती लेकर दीप ।
मोती चमके नाक में खाली रह गया सीप ॥
ताजमहल मैला हुवा देख तुम्हारा अंग ।
मै क्या तुमको देख कर दुनिया रह गई दंग ॥
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