Anil Kumar Aksh
Tuesday, March 10, 2009
सागर में लहरे उठाती हुई ,
वो चली आ रही मुस्कराते हुई ।
सामने जैसे हो मेरे ताजमहल ,
चांदनी रात हो जगमगाती हुई ।
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