नज़र को क्यूँ उठाते हो नज़र को क्यो गिराते हो ।
क्या कोई चीज़ ऐसी है जिसे तुम तौले जाते हो ॥
लवो पर लव सजाए हो ये ख़ामोशी कहाँ की है ।
ज़रा सी बात को न जाने क्यूँ दिल से लगाते हो ॥
बहुत दिन हो गए हमने नही देखी हँसी सूरत ।
न जाने मुस्कुराने में क्यूँ कंजूसी दिखाते हो ॥
No comments:
Post a Comment