कुछ दूर ही चले थे, मंजिल का पता लेके।
अच्छा हुआ कि उसने रास्ते पे ला दिया।
क्या होता अगर चलता कुछ और दूर आगे।
ये वक़्त था और वक़्त ने रस्ता बता दिया।
कुछ और ही समझे थे कुछ और ही वो निकले।
दो कदम साथ चलके रस्ता दिखा दिया ।
हमको नही पता था वरना न कदम रखते।
उसने मुझे अजीब सा सपना दिखा दिया ।
ऐसी क्या दुश्मनी थी उनकी खुदा ही जाने।
ये दोस्ती दिखा कर ये तुमने क्या किया।
अच्छा हुआ कि उसने रास्ते पे ला दिया।
क्या होता अगर चलता कुछ और दूर आगे।
ये वक़्त था और वक़्त ने रस्ता बता दिया।
कुछ और ही समझे थे कुछ और ही वो निकले।
दो कदम साथ चलके रस्ता दिखा दिया ।
हमको नही पता था वरना न कदम रखते।
उसने मुझे अजीब सा सपना दिखा दिया ।
ऐसी क्या दुश्मनी थी उनकी खुदा ही जाने।
ये दोस्ती दिखा कर ये तुमने क्या किया।