Saturday, January 22, 2011

जब ढलती शाम सुहानी हो

जब ढलती शाम सुहानी हो , कोई मीरा दीवानी हो ।

जब थाल सजाया जाता हो , जयमाल उठाया जाता हो ॥

तब याद तुम्हारी आती है, तब याद तुम्हारी आती है ।

जब दीपक जलने वाला हो , हाथो में तुलसी माला हो ॥

कोई मूरत प्यारी प्यारी हो , जब पूजा कि तैयारी हो ।

तब याद तुम्हारी आती है, तब याद तुम्हारी आती है ।

जब सूरज जगने वाला हो , किरणों का रूप निराला हो ।।

जब कोयल कूक सुनाती है, जाने क्या कह कर जाती है।

तब याद तुम्हारी आती है, तब याद तुम्हारी आती है ।

जब सन्नाटा सा होता है, कोई छुप छुप कर रोता है ।

नैनो में मोती रहते है , ये सच है कुछ तो कहते है ॥

तब याद तुम्हारी आती है, तब याद तुम्हारी आती है ।

जब दूर कही कुछ बाते हो , रुक रुक कर जब बरसाते हो ।।

कुछ मेघ गगन में रहते हो , रुक रुक कर कुछ तो कहते हो ।

तब याद तुम्हारी आती है, तब याद तुम्हारी आती है । ।

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