Sunday, August 29, 2010

एंजेल तो होते है मानो या न मानो

शाहजहाँ को कबूतरों का बहुत शौक था । एक बार वो अपनी बेगम के साथ छत पर कबूतरों के साथ खेल रहे थे कि तभी कोई उनसे मिलने आ गया उन्होंने अपने सबसे प्यारे दो कबूतर अपनी बेगम के दोनों हाथो में दे दिए और चले गए । जब वो लौट कर आये तो देखा उनका एक कबूतर गायब है। शाहजहाँ को गुस्सा आ गया और अपनी बेगम से पूछा कि एक कबूतर कहा है । बेगम ने जवाब दिया कि वो तो उड़ गया । गुस्से से लाल शाहजहाँ ने पूछा कि कैसे । उस खुबसूरत बेगम ने अपने हाथ से दूसरा कबूतर भी छोड़ दिया और कहा कि ऐसे । बेगम कि इस मासूमियत को देखकर शाहजहाँ का सारा गुस्सा दूर हो गया और उन्होंने उस बेगम को मुमताज महल का ख़िताब दिया ।

जब मैंने ये कहानी पढ़ी तो तो मुझे लगा कि ये कैसे हो सकता है । कोई इतना मासूम कैसे हो सकता है । लेकिन आज मुझे ये लग रहा है नहीं मै गलत था । कोई उससे ज्यादा भी मासूम हो सकता है । खैर एक शायर साहब थे उन्हें जब किसी से कुछ कहना होता या कोई तोहफा देना होता तो उससे दो लाइन कह देते । एक बार ऐसे ही किसी को तोहफा देना था और उन्होंने फिर तोहफे में दो लाइन कह दी । तोहफा लेने वाले जनाब को गुस्सा आ गया और वो बोला क्या भाई इतनी दौलत है आप के पास उसमे से कुछ नहीं दे सकते । तो शायर साहब ने जवाब दिया कि मै तुम्हे अपनी सबसे बड़ी दौलत तोहफे में देता हू । ये दो लाइन ही मेरी सबसे बड़ी दौलत है । बात तब मेरी समझ में नहीं आई । लेकिन आज मै समझ चुका हू कि किसी के लिए कुछ लिखना ही सबसे बड़ी दौलत है। बशर्ते ये दौलत समझने वाला कोई हो नहीं तो सारी दुनिया जानती है कि ये लिखने वाले पागल होते है ।

मै हमेशा सोचा करता था कि क्या ऐसे लोग वाकई इस दुनिया में होते है । शायद खुदा को मेरी इस बात का पता चल गया । और उसने मुझे एक ऐसे शख्स से मिला दिया दिया कि उसे देखकर मेरी सारी बाते समझ में आ गयी । अगर मै कोई शायर होता दो लाइन लिखता लेकिन कुछ न कुछ तो लिखना ही है । उसके टेसू के फूल जैसे होठ जब खुलते तो ऐसा लगता कि मानो सारी कायनात उसके होठो पर आ के ठहर सी गयी है । चेहेरे पर खिलखिलाती तब्बसुम , जुल्फों में मचलते सरारे , गले से गुनगुनाती तरन्नुम को देख कर ऐसा लगा कि शाहजह अपनी जगह पर बिलकुल सही था । पवित्रता इतनी कि जैसे वो गंगा जल में स्नान करके निकली हो है । अगर मै भी कोई बादशाह होता तो शायद मै भी दो चार ख़िताब देता पर अफ़सोस ऐसा कुछ भी नहीं है । कोई बात नहीं सब चलता है ।

एक शायर साहब ने लिखा कि मै रोज़ खुदा से दुवा में उसे मागता हू और ये भी मागता हू कि कोई उसे मागता न हो । तो दूसरे ने फ़रमाया कि सबकुछ खुदा से मांग लिया तुम को मांग कर उठते नहीं है हाथ मेरे इस दुवा के बाद ये बात मेरे गले से नहीं उतरत थी कि कोई किसी को इतनी तवज्जो कैसे दे सकता है । लेकिन एक एक कर के उसने मेरे सारे भरम तोड़ दिए । और ऐसे तोड़े कि मै भी लिखने लगा हलाकि मै वैसा नहीं लिख सकता फिर भी । मै हमेशा ये सोचता कि कोई इतना मासूम और इतना खुबसूरत कैसे हो सकता है कि शायर उस पर ग़ज़ल लिखे , कवि कविता रचे और कहानीकार कहानी लिखे पर मुझे आज उन सब बातो पर यकीं हो गया जिन्हें मै नहीं मानता था ।

उपर
वाले की बनाई इस खूबसूरत दुनिया में दो तरह के इंसान रहते है , बसते है , ज़िन्दगी जीते है , जिंदगी बिताते है और ज़िन्दगी काटते हैमगर कुछ ऐसे लोग होते है जिनसे ये दुनिया खूबसूरत हो जाती हैकुछ लोग ऐसे होते है जो सिर्फ तन के सुन्दर होते है और कुछ लोग सिर्फ मन के सुन्दर होते है लेकिन ऐसा बहुत ही कम देखने को मिलता है की जो तन का भी सुन्दर हो और मन का भीअगर ऐसा इन्सान मिलता है जो तन और मन दोनों का सुन्दर हो तो उसे सिजदा करने को दिल चाहता है हलाकि मै जानता हूँ की इंसानों को सिजदा नहीं किया जाता पर ये तो दिल है इसका क्या करे । उसकी चन्दन सी महकती खुशबू को क्या कोई माथे से नहीं लगाना चाहेगा । पवित्र इतनी कि गीता कि जगह उसकी कसम खायी जा सकती है ।

ऐसा लगता है की उसका बुत बनाया जाये और पूजा की जायेदुनिया में इनका आना ही बड़ी बात है क्युकी अच्छे लोगो की जरुरत तो उस खुदा को भी होती हैकोई अगर उनसे जा कर पूछे की ये खूबसूरत अंदाज़ और ये खूबसूरत दिल कहा से लाये हो तो ज़वाब ये देते है की खूबसूरती तो देखने वाले की नज़र में होती हैअब आप ही बताइए इतना खूबसूरत कोई और होगा जो ऐसा जवाब देता है कि आप अपने आप को बहुत अच्छा समझने लगते है भले ही वो झूठ हो ।

एंजेल कोई आसमान से थोड़ी उतरते है वो भी इंसान होते है लेकिन वो इतने प्यारे होते है की वो एंजेल हो जाते है और हा ऐसे एंजेल बहुत प्यारे , बहुत मासूम होते है . नाज़ुक इतने कि गुलाब का फुल भी उसके सामने सर झुका देता है . स्वीट इतना की कहिये मतउसकी आवाज़ में इतनी मिठास है की शहद भी फीका पड़ जाये तभी तो लोग ऐसे एंजेल को स्वीट एंजेल कहते हैऔर यकीं मानिये स्वीट एंजेल हमारे आस पास ही होते है लेकिन मिलते बहुत ही मुस्किल से है और वो जब आपकी किस्मत अच्छी हो तो


लोग कहते है चाँद बहुत खुबसूरत है, तारे बहुत अच्छे लगते है , झरनों का शोर बहुत प्यारा लगता है लेकिन मै कहता हु कि अगर एक बार किसी ने उस इन्सान का दीदार कर लिया जो धरती को जन्नत बना देता है तो वो सारी बाते भूल जायेगा । बस याद रहेगा तो इतना कि खुदा तूने तो मुझे जन्नत जैसी धरती दी थी लेकिन वो इन्सान ही है जो इसे दोज़ख बना देते है लेकिन तेरा लाख लाख शुक्र है कि ऐसे लोग भी धरती पर है जिनकी वजह से इसका वजूद है ।

खैर इतना काफी है बहुत लिखुगा तो लोग मुझे पागल समझेगेकोई बात नहीं जैसे लोगो की बात करने ,चिल्लाने कि और जाने क्या क्या आदत होती हैमेरी तो सिर्फ लिखने की आदत है तो ये कैसे बदलेगी लिखता जाऊंगा बस ।

Friday, August 27, 2010

बदलते वक़्त में बदले हुए हालत

बदलते वक़्त में बदले हुए हालत देखे है
गुजरते वक़्त में बहते हुए जज़्बात देखे है
नहीं बदला मगर वो आपका हँसता हुवा चेहरा
कि जिस चेहरे पे हमने डूबते दिन रात देखे है

Saturday, August 14, 2010

मुबारक सबको आज़ादी का परचम आज के दिन पर ।

कि ये दिन एक नयी सुबह दिखा जाये तो अच्छा है ॥

न डर हो अपने हालातो से ज़ज्बातो की कीमत हो ।

की ठोकर लग के उठकर खुद संभल जाये तो अच्छा है ॥

मुझे कुछ भी नहीं कहना मगर एक इतनी गुजारिश ।

जो शोलो सा दहकता है वो जल जल जाये तो अच्छा है ॥

चरागों को अभी कुछ देर जलने दो किनारों पर ।

जो दिल में बंद है तूफ़ा निकल जाये तो अच्छा है ॥

बड़े दिन से है रखे तीर तरकश में ना जाने क्यों ।

जो दुश्मन देश के उन पर ये चल जाये तो अच्छा है ॥

कही पर कारवां कुर्बानियों का रुक न जाये ये ।

कि अपने देश पर ये दम निकल जाये तो अच्छा है ॥